सट्टेबाजी मकसद से पी नोट जारी करने पर पाबंदी

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मुंबई। बाजार नियामक सेबी ने पी-नोट नियम को कड़ा कर दिया है, लेकिन इस पर पूरी तरह पाबंदी लगाने की संभावना से इनकार किया है। इसके तहत प्रत्येक पी नोट पर 1,000 डालर का शुल्क लगाया जाएगा और हेजिंग को छोड़ कर सट्टेबाजी मकसद से पीनोट जारी करने पर पाबंदी होगी।

इन उपायों का इसका मकसद कालाधन को सफेद बनाने के लिये नियमों के दुरूपयोग पर लगामा लगाना है। साथ ही भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड  (सेबी) ने उन विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के लिये नियम को आसान बनाया है जो पार्टििसपेटरी नोट के बजाए सीधे भारतीय बाजार में आना चाहते हैं।

सेबी के निदेशक मंडल की बैठक के बाद बाजार नियामक के चेयरमैन अजय त्यागी ने हालांकि कहा कि नियामक पी-नोट पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने पर गौर नहीं कर रहा है क्योंकि कुछ नये निवेशक भारतीय बाजार में आने के लिये इसी रास्ते का उपयोग करना चाहते हैं। यह निर्णय ऐसे समय किया गया है जब पी-नोट या आफशोर डेरिवेटिव्स इंस्ट्रूमेंट (ओडीआई) के जरिये देश में होने वाले निवेश में पहले ही काफी कमी आ चुकी है।

अप्रैल में यह चार महीने के निम्न स्तर 1.68 लाख करोड़ रुपये रहा।त्यागी ने कहा कि सेबी के निदेशक मंडल ने नियामकीय शुल्क के जरिये पी-नोट के लिये नियमों को कड़ा करने को मंजूरी दे दी है। इसके तहत पी-नोट जारी करने वालों पर नियामकीय शुल्क लगेगा। हालांकि उन्होंने कहा कि इस पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने का कोई प्रस्ताव नहीं है क्योंकि यह उन नये निवेशकों के लिये अच्छा है जो भारतीय बाजार में आना चाहते हैं।

त्यागी ने संवाददाताओं से कहा, सेबी चाहेगा कि विदेशी निवेशक सीधे आयें लेकिन पी-नोट की अपनी उपयोगिता है। नियामक ने प्रत्येक पी-नोट अंशधारक पर 1,000 डालर का नियामकीय शुल्क लगाने का फैसला किया है। इसे एक अप्रैल 2017 से प्रत्येक तीन साल पर संग्रह और जमा जारीकर्ता एफपीआई :विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक: करेगा।

नियामक ने कहा, सेबी निदेशक मंडल के निर्णय को लागू करने के लिये सेबी (एफपीआई)  नियमन, 2014 में संशोधन करेगा।साथ ही बोर्ड ने डेरिवेटिव्स के एवज में ओडीआई जारी करने पर रोक लगाने का फैसला किया है। यह उस स्थिति में लागू नहीं होगा जब इसका उपयोग हेजिंग मकसद से किया गया हो। नियामक इस संदर्भ में परिपत्र जारी करेगा।