पेरिस। तेल से होने वाली कमाई खतरे में पड़ी तो सऊदी अरब ने ऐसा दांव चला कि दुनिया हैरान रह गई। दरअसल तेल की कीमतों में गिरावट को थामने के लिए सऊदी अरब ने अपना वादा ही तोड़ दिया और तेल उत्पादन में ज्यादा ही कटौती कर दी। इसका असर यह पड़ा कि 3 महीने के भीतर क्रूड की कीमतें लगभग 30 फीसदी बढ़ गई। दिलचस्प बात यह रही कि दुनिया में डिमांड घटने के बावजूद कीमतें बढ़ी हैं।
चार साल के लो पर तेल का प्रोडक्शन
आईईए ने कहा कि ओपेक का प्रोडक्शन मार्च में 0.55 एमबीडी घटकर 30.13 एमबीडी पर आ गया है, जो चार साल का निचला स्तर है। इसकी मुख्य वजह सऊदी अरब और संकटग्रस्त वेनेजुएला द्वारा प्रोडक्शन में भारी कटौती रही है।
हालांकि ऐसा ग्लोबल डिमांड घटने के बावजूद किया गया है, जिसके चलते जनवरी से मार्च, 2019 के दौरान ब्रेंट क्रूड की कीमत 50 डॉलर से बढ़कर 65 डॉलर प्रति बैरल पर आ गईं। जनवरी से मार्च के बीच भारत में पेट्रोल की कीमतें लगभग 4 रुपए प्रति लीटर बढ़ गईं। गौरतलब है कि सऊदी अरब (Saudi Arabia) की इकोनॉमी काफी हद तक कच्चे तेल से होने वाली कमाई पर निर्भर है।
IEA ने लगाया आरोप
इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी ने गुरुवार को सऊदी अरब पर ऑयल प्रोडक्शन पर किया गया वादा तोड़ने का आरोप लगाया। आईईए (IEA) ने कहा कि ग्लोबल डिमांड को लेकर मिले-जुले संकेत मिलने के बावजूद ऐसा किया गया। ताजा मंथली ऑयल रिपोर्ट पेरिस बेस्ड आईईए (IEA) ने कहा कि ओपेक (OPEC) की अगुआई कर रहे सऊदी अरब ने अपने प्रोडक्शन में खासी कमी कर दी है, जो मार्च में दो साल के निचले स्तर पर पहुंच गया।
भारत-चीन में बढ़ी डिमांड
भले ही चीन, भारत और अमेरिका में डिमांड बढ़ी है, लेकिन ओईसीडी (OECD) ने आगाह किया कि ग्लोबल इकोनॉमिक आउटलुक में ‘मिले-जुले संकेतों’ के बीच ‘ऑयल मार्केट में सुस्ती के संकेत मिल रहे हैं।’हाल के महीनों में ट्रेड डिसप्यूट्स के चलते तनाव से ग्लोबल इकोनॉमिक ग्रोथ में सुस्ती का अनुमान है, जिसकी मुख्य वजह चीन की ग्रोथ में सुस्ती मानी जा रही है।