नई दिल्ली। पिछले वित्त वर्ष 2018-19 के लिए नए इनकम टैक्स रिटर्न फॉर्म जारी कर दिए गए हैं। पिछले साल की तुलना में इस साल टैक्सपेयर्स से रिटर्न फॉर्म्स में ज्यादा जानकारी मांगी गई है। नए आईटीआर फॉर्म्स में टैक्स पेयर्स से भारत में निवास के दिनों की संख्या, अनलिस्टेड शेयर्स की होल्डिंग और टीडीएस होने पर किरायेदार का पैन जैसी नई जानकारियां मांगी गई हैं।
ITR-1 फॉर्म सिर्फ उन्हीं नागरिकों पर लागू होगा जिनकी कुल इनकम 50 लाख रुपये तक है। यह सैलरी, एक हाउस प्रॉपर्टी और ब्याज से होने वाली इनकम होती है। नोटिफाई किए गए फॉर्म के मुताबिक, इस आईटीआर फॉर्म को किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा इस्तेमाल नहीं किया जा सकता जो किसी कंपनी का डायरेक्टर है या अनलिस्टेड इक्विटी शेयर में निवेश किया है।
CBDT द्वारा जारी किए गए फॉर्म के मुताबिक, ITR-1 स्टैंडर्ड डिडक्शन के विकल्प के साथ आता है। आईटीआर फाइल करते समय वित्त वर्ष 2018-19 में आप स्टैंडर्ड डिडक्शन के लिए अधिकतम 40,000 रुपये का दावा कर सकते हैं। अगर आपके पास घर है तो आपको आईटीआर-1 में यह बताना होगा कि इस घर के मालिक आप स्वयं हैं या फिर आपने इसे बेच दिया है।
आपको इस वित्त वर्ष में दूसरे सोर्सेज से होने वाली आय के बारे में भी विस्तृत जानकारी देनी होगी। बता दें कि इससे पहले आपको सिर्फ दूसरे सोर्सेज होने वाली इनकम ही बतानी होती थी। आमतौर पर दूसरे सोर्सेज से होने वाली इनकम में बैंक अकाउंट से मिलने वाला ब्याज, फिक्स्ड डिपॉजिट आदि होती है।
पिछले साल की तरह ही आपको अपनी सैलरी के ब्रेकअप की जानकारी जैसे सैलरी के अलावा अलाउंस, अतिरिक्त सुविधाएं और प्रॉफिट शामिल हैं। आपको अपनी कंपनी से मिलीं सुविधाओं की भी अतिरिक्त जानकारी देने की जरूरत पड़ेगी। अगर आपको कोई ऐसे अलाउंस जैसे हाउस रेंट भी मिलते हैं जिनसे टैक्स में थोड़ी या पूरी छूट मिलती है, उनकी जानकारी भी आईटीआर-1 देनी होगी।
ITR-2 में नई जानकारी की होगी जरूरत
आईटीआर-2 फॉर्म उन लोगों और अविभाजित हिंदू परिवारों (HUFs) के लिए है जिन्हें किसी कारोबार या पेशे से कोई प्रॉफिट या लाभ नहीं होता। आईटीआर-2 में आपको अपने निवास स्थान से जुड़ी जानकारी देनी होगी कि आप वित्त वर्ष 2018-19 में आप वहां के निवासी थे या नहीं। या साधारण निवासी थे और नॉन-रेजिडेंट थे।
आपको यह बताने की जरूरत होगी कि इस वित्त वर्ष में [सेक्शन 6(1)(a)] आप भारत में 182 दिनों या फिर ज्यादा दिनों तक रह रहे थे या फिर आप देश में 60 दिन या ज्यादा या फिर 365 दिनों के लिए रह रहे हैं या फिर [सेक्शन (6)(1)(c)] के तहत पिछले लगातार 4 सालों से रह रहे हैं।
अगर आपके पास किसी अनलिस्टेड कंपनी के शेयर्स हैं तो आपको आईटीआर-2 में इसकी जानकारी देनी होगी। इस जानकारी में कंपनी, पैन, शेयरों की संख्या और आपके द्वारा खरीदे या बेचे गए शेयरों की जरूरत होगी।
डायरेक्टर्स और जिन लोगों के पास वित्त वर्ष 2018-19 में अनलिस्टेड इक्विटी शेयर्स रहे, वे आईटीआर-1 या आईटीआर-4 फाइल नहीं कर सकते, उन्हें आईटी-2 या आईटीआर-3 ही फाइल करना होगा। अनलिस्टेड इक्विटी शेयर्स की होल्डिंग्स के बारे में विस्तृत जानकारी भी पूछी गई है।
पेपर फाइलिंग की सुविधा अब सिर्फ 80 वर्ष से ऊपर के लोगों और फिर आईटीआर-1 या आईटीआर-4 फाइल कर रहे हैं, उनके लिए ही उपलब्ध है। बाकी सभी को इलेक्ट्रॉनिकली फाइलिंग ही करनी होगी।’
इससे पहले 5 लाख रुपये तक की इनकम वाले या रिफंड पाने वाले लोग पेपर फॉर्म में फाइलिंग कर सकते हैं, लेकिन अब ऐसा संभव नहीं होगा। अब अधिकतर आईटीआर फॉर्म्स ई-फाइल ही होते हैं। आईटीआर-4 अब सिर्फ उन्हीं लोगों द्वारा फाइल किया जा सकता है जो निवासी हैं और साधारण निवासी हैं व उनकी कुल इनकम 50 लाख रुपये से ज्यादा नहीं है।
आमतौर पर लोग रिटर्न फाइल करने के लिए आईटीआर-1 या आईटीआर-2 इस्तेमाल नहीं करते हैं। आईटीआर-4 उन लोगों के लिए है जिनकी कुल इनकम 50 लाख रुपये तक है और उन्हें किसी कारोबार व पेशे से आय हो रही है। इनकी इनकम सेक्शन 44AD, 44ADA या 44AE के तहत कंप्यूटेड होती है।