नई दिल्ली। पंजाब नैशनल बैंक को 13,758 करोड़ रुपये का चूना लगाने के बाद नीरव मोदी और उसका मामा मेहुल चौकसी 15 महीने पहले भारत से फरार हो गया था। हीरा व्यापारी नीरव ने इन 15 महीनों के दौरान भारतीय एजेंसियों की गिरफ्त से बच निकलने की हर मुमकिन कोशिश की। रिपोर्ट्स के मुताबिक, उसने वैनुआटु की नागरिकता लेने के लिए आवेदन किया। वैनुआटु ऑस्ट्रेलिया के पूर्व में एक छोटा सा देश है।
उसने सिंगापुर में भी स्थायी नागरिकता की कोशिश की। किसी तीसरे देश में सुरक्षित पनाहगाह के लिए यूके की बड़ी-बड़ी लॉ कंपनियों से संपर्क किया। उसने अपना हुलिया बदलने के लिए प्लास्टिक सर्जरी तक की योजना बनाई थी ताकि पहचान में न आ सके। लेकिन भाग्य ने उसका साथ नहीं दिया और लंदन में गिरफ्तार हो गया।
जांच एजेंसियों की नजरों से ओझल नहीं था नीरव
भले ही नीरव ने जांच एजेंसियों को चकमा देने की पूरी कोशिश की लेकिन जांच एजेंसियों की उस पर नजर थी। अधिकारियों ने बताया, पिछले साल देश छोड़कर भागने के बाद जांच एजेंसियों की उसकी हर गतिविधि पर नजर थी।
उसके यूरोप, यूएई के बार-बार दौरे, उसके वित्तीय लेनदेन और बैठकों पर जांच एजेंसियों की बराबर निगाहें थीं। जब पीएनबी स्कैम से पूरा देश हिल गया तो उस समय नीरव अलग-अलग देशों की यात्रा कर रहा था। उसका भारतीय पासपोर्ट रद्द कर दिया गया था, फिर भी वह यात्रा करता रहा।
अधिकारियों ने बताया कि अब अब नीरव को छिपने की कोई जगह नहीं बची है। मिहिर भंसाली, सुभाष परब और मयंक मेहता समेत उसके बहुत से साथियों पर भी कार्रवाई की जा रही है। इनलोगों ने नीरव को छिपने में मदद की थी।
स्मार्ट नहीं निकला नीरव
कुछ अधिकारियों का कहना है कि नीरव अपने मामा मेहुल चोकसी की तरह स्मार्ट नहीं निकला। मेहुल ने पहले ही भांप लिया था कि उसके साथ क्या हो सकता है। इसलिए उसने साल 2017 में ही ऐंटिगुआ और बारबुडा की नागरिकता के लिए आवेदन कर दिया।
सूत्रों के मुताबिक, जब सीबीआई और ईडी ने दोनों के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस के लिए इंटरपोल से संपर्क किया तो चोकसी ने तुरंत इंटरपोल में अपना पक्ष रखा। उसने तर्क दिया कि उसके खिलाफ जांच राजनीति से प्रेरित है। वहीं मोदी कथित रूप से यह सोच रहा था कि भारत के बाहर से उसे पकड़ा नहीं जा सकता है।
अधिकारियों ने बताया कि नीरव गंभीर संकट में है क्योंकि उसके खिलाफ जो साक्ष्य हैं, वे किसी भी अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में खारिज नहीं किए जा सकते हैं। ईडी ने नए कानून के तहत नीरव को भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित करने के लिए कोर्ट में आवेदन दिया था। अभी यह आवेदन लंबित है लेकिन एजेंसी को उम्मीद है कि कोर्ट उसे स्वीकार कर लेगा।
इससे उसको भारत लाने का रास्ता और साफ होगा। वैसे चोकसी के मामले में भी भारतीय एजेंसियों को उम्मीद है कि ऐंटिगुआ उसके प्रत्यर्पण के आग्रह पर कार्रवाई करेगा। लेकिन महीनों हो गए अब तक कैरिबियाई राष्ट्र की ओर से कोई जवाब नहीं आया है।