हैदराबाद/ बेंगलुरु। देश के सबसे बड़े स्वदेशी रॉकेट जीएसएलवी एमके-3 का सफलतापूर्वक लॉन्च हो गया है। भारत का सबसे भारी यह रॉकेट संचार उपग्रह जीसैट-19 को लेकर गया है। इसकी कामयाबी से भविष्य में अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने में भारत का रास्ता भी साफ हो गया है।
इस रॉकेट को सोमवार शाम 5 बजकर 28 मिनट पर श्रीहरिकोटा से उड़ान भरा। इसरो ने कहा कि इसके प्रक्षेपण के लिए 25 घंटे से अधिक की उल्टी गिनती अपराह्न तीन बजकर 58 मिनट पर शुरू हुई। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व प्रमुख के. राधाकृष्णन ने कहा कि भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान (जीएसएलवी) एमके-3 प्रक्षेपण मील का पत्थर है। क्योंकि इसरो इसकी क्षमता 2.2-2.3 टन से करीब दोगुना 3.5-4 टन कर रहा है।
जीएसएलवी एमके-3
- इसके जरिये बड़े उपग्रहों का देश में ही प्रक्षेपण हो सकेगा
- यह साधारण, बेहतर पेलोड वाला और मजबूत प्रक्षेपण यान
- कुल वजन 640 टन, यह करीब 200 हाथियों के बराबर है
- यह हाई स्पीड इंटरनेट सेवाएं मुहैया कराने में सक्षम है
- जीएसएलवी एमके-3 भविष्य के भारत का रॉकेट है
इंटरनेट गति बेतहाशा बढ़ जाएगी
सोमवार को जीएसएलवी एमके-3 के जरिये उपग्रह जीसैट-19 को भी भेजा जाएगा। इसके सफल प्रक्षेपण के बाद भारत में इंटरनेट की गति में बेतहाशा वृद्धि हो जाएगी। डेढ़ साल के अंदर दो अन्य संचार उपग्रहों जीसैट-11 और जीसैट-20 को भी अंतरिक्ष में भेजने की योजना है।
जीसैट-19
- अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र, अहमदाबाद में बनाया गया है
- भारत के लिए संचार क्षेत्र में क्रांति लाने वाला उपग्रह है
- यह पुराने 6-7 संचार उपग्रहों के समूह के बराबर होगा
- मेड इन इंडिया उपग्रह डिजिटल भारत को सशक्त करेगा
- पहली बार किसी उपग्रह पर कोई ट्रांसपोंडर नहीं होगा
- यह प्रति सेकंड चार गीगाबाइट डेटा देने में सक्षम होगा
- लगभग 3.2 टन वजनी है, इसकी उम्र 15 वर्ष होगी
जीसैट-11
- इसका आगामी कुछ महीनों में प्रक्षेपण किया जाएगा
- वजन 5.8 टन है, इसे अमेरिका की मदद से भेजा जाएगा
- इस साल के आखिरी में इसे अंतरिक्ष में छोड़ा जाएगा
- यह प्रति सेकंड 13 गीगाबाइट डेटा देने में सक्षम होगा
जीसैट-20
- वर्ष 2018 के अंत तक इसके प्रक्षेपण की योजना
- इसका डेटा रेट 60-70 गीगाबाइट प्रति सेकंड होगा
“यह मिशन महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह अब तक का सबसे भारी रॉकेट और उपग्रह है जिसे देश से छोड़ा जाना है।”
एसएस किरण कुमार, इसरो अध्यक्ष