नई दिल्ली। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद की बैठक में शनिवार को सरकार कारोबारियों द्वारा मौजूदा भंडार यानी स्टॉक पर चुकाए गए इनपुट कर के लिए रिफंड सीमा पूर्व निर्धारित 40 फीसदी से बढ़ा सकती है। इसके लिए बिल यानी इन्वॉयस की जरूरत भी नहीं रह जाएगी। कंपनियां स सीमा को बढ़वाने के लिए मुहिम चला रही हैं अैर उनका कहना है कि आंशिक क्रेडिट रिफंड से आपूर्ति शृंखला प्रभावित होगी।
कंपनियों का कहना है कि ज्यादातर वितरक यही चाहते हैं कि उनका मौजूदा स्टॉक जीएसटी लागू होने से पहले खत्म हो जाए। उद्योग जगत ने तो रिफंड सीमा बढ़ाकर 60 से 100 फीसदी के बीच रखने की मांग की है। एक सरकारी अधिकारी ने नाम सार्वजनिक नहीं करने की शर्त पर बताया, ‘हम उद्योग जगत की ङ्क्षचताएं दूर करेंगे।
हमने मौजूदा सीमा 40 फीसदी से बढ़ाकर 60 फीसदी के आसपास करने का प्रस्ताव दिया है। इसके साथ ही हमें अपना राजस्व संतुलन भी देखना होगा। हम कर राजस्व से अधिक रिफंड नहीं बांट सकते।’ जीएसटी के तहत भंडार स्थानांतरण पर चुकाया गया कर पूरी तरह इनपुट टैक्स के्रडिट के तौर पर उपलब्ध रहता है।
हालांकि मौजूदा प्रणाली में डीलरों को चुकाए गए उत्पाद शुल्क पर किसी तरह का रिफंड नहीं मिलता है। सरकार महंगी सामग्री के लिए भी दिशानिर्देश दे जारी कर सकती है। 100 फीसदी क्रेडिट रिफंड लेने के लिए बिल नहीं रहने की स्थिति में वैकल्पिक दस्तावेज दिखाए जा सकते हैं। आगामी 1 जुलाई से जीएसटी लागू किए जाने की संभावना है।
ऐसे में वित्त मंत्री अरुण जेटली राज्यों के वित्त मंत्रियों के साथ जीएसटी व्यवस्था में प्रवेश और अन्य बातों के लिए अंतिम नियम-शर्तें तय कर करने में जुटे हैं। पीडब्ल्यूसी इंडिया में लीडर (अप्रत्यक्ष कर) प्रतीक जैन ने कहा, ‘उद्योग जगत ने 40 फीसदी की सीमा को बढ़ाए जाने की मांग की है। जैन ने कहा कि यह सीमा बढ़ाई जाती है तो उद्योग जगत को शुकून मिलेगा ।