नई दिल्ली। आईपीओ मार्केट के लिए 2018 बंपर साल हो सकता था, लेकिन नहीं हुआ। क्यों? रिसर्च फर्म प्राइम डेटाबेस के मुताबिक सेबी से अप्रूव्ड 54 आईपीओ पाइपलाइन में फंसे हैं। इनके जरिए लगभग 64000 करोड़ रुपये की रकम जुटाए जा सकती है। मार्केट रेगुलेटर के पास करीब 22,000 करोड़ रुपये के 25 आईपीओ एप्लिकेशन भी पड़े हुए हैं।
सबसे बड़ा आईपीओ नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) का ~10,000 करोड़ का है। मेट्रोपॉलिस हेल्थकेयर और पॉलिकैब इंडिया के ~2,000-2,000 करोड़ के इश्यू भी आने वाले हैं। इनके जरिए कई प्राइवेट इक्विटी इनवेस्टर्स को एग्जिट करने का मौका मिलेगा। इन पीई इनवेस्टर्स के अलावा IIFL (AIF) और इडलवाइज के प्री-आईपीओ फंड्स भी हैं, जिन्होंने इनमें पिछले तीन साल में काफी निवेश किया है।
ऐसा लगता है कि इस साल जिन आईपीओ को आना था, अप्रैल से अक्टूबर के बीच आ गए थे। इनके जरिए कुल ₹13,627 करोड़ रुपये की रकम जुटाई गई। बाकी कंपनियों का इंतजार लंबा हो गया है। जनवरी के मार्केट क्राइसिस में मिड कैप इंडेक्स 15% गिर गया। आगे चलकर एनबीएफसी क्राइसिस के चलते कुछ बड़ी कंपनियों के स्टॉक प्राइस में तेज गिरावट आई।
इन सबके चलते आईपीओ के अलावा IIFL और इडलवाइज के प्री आईपीओ फंड के सामने बड़ी मुश्किलें आ गईं। आईपीओ के जरिए पैसा तेजी के बाजार से जुटाया जाता है क्योंकि तब कंपनियों के पास ठोस प्राइसिंग पावर होती है, लेकिन इसके लिए बाजार में कम से कम एक साल तेजी होना जरूरी है। सेकेंडरी मार्केट में मोमेंटम बनते ही IPO बाजार सजने लगता है। अच्छी कीमत के लिए ओवरसब्सक्रिप्शन भी जरूरी है।
डीमार्ट की कंपनी एवेन्यू सुपरमार्ट्स का इश्यू 105 गुना सब्सक्राइब और 100% प्रीमियम पर लिस्ट हुआ था। कंपनी के साथ प्रमोटर के तौर पर मार्केट के ‘ओल्ड फॉक्स’ राधाकिशन दमानी नाम जुड़ा था। हालांकि इस इश्यू के आने के पहले बाजार एक साल में 20% चढ़ चुका था। एवेन्यू सुपरमार्ट्स के लिए मार्केट में लिस्ट होने का उससे अच्छा वक्त हो ही नहीं सकता था।
2017 में IIFL ने प्री आईपीओ फर्म्स में ₹7,000 करोड़ रुपये का स्पेशल ऑपर्च्युनिटीज फंड बनाया था। जल्दी ही इडलवाइज भी 1750 करोड़ रुपये के फंड के साथ मार्केट में आ गई। ये फंड्स प्राइवेट इक्विटी और वेंचर कैपिटल इनवेस्टमेंट, IPO के जरिए एग्जिट में हो रही बढ़ोतरी और हेल्दी आईपीओ पाइपलाइन पर दांव लगा रहे थे। पिछले दो साल पीई एग्जिट के लिए शानदार रहे थे। सालभर बाद हालात बदले हुए हैं।
स्पेशल ऑपर्च्युनिटीज फंड के प्रेजेंटेशन में IIFL ने कहा था कि फंड ने आईपीओ में 2095 करोड़ रुपये लगाए हैं, जिनकी मार्केट वैल्यू ₹2,153 करोड़ रुपये है। हालांकि मार्केट न्यूज और एनालिसिस प्लेटफॉर्म ट्रेंडलाइन के फंड परफॉर्मेंस इंफॉर्मेशन और इनवेस्टमेंट बैंकर्स के साथ हुई बातचीत के हिसाब से पिछले कुछ महीनों में आईपीओ में हुई देरी के चलते कुछ रकम घटने से इन फंड्स का परफॉर्मेंस मिला जुला रहा है।
फंड्स हाथ पर हाथ धरे बैठे नहीं हैं। स्पेशल ऑपर्च्युनिटीज फंड को मैनेज करने वाली IIFL एसेट मैनेजमेंट के सीईओ प्रहस्त सेठ कहते हैं, ‘अगले कुछ महीनों तक मार्केट में उथलपुथल रह सकती है। इससे हमारा प्रदर्शन प्रभावित होगा? नहीं। फंड लाइफ 3.5 साल की है और हमें प्री-आईपीओ, आईपीओ और हालिया लिस्टेड कंपनियों में निवेश करने की सहूलियत है। हमें तो अच्छे दाम पर बेहतर पाइपलाइन मिल रही है।’