बैंकों की किस्त चुकाना भी मुश्किल हुआ अनिल अंबानी की आरकॉम का

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नई दिल्ली। रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) की हालत क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों के अनुमान से कहीं ज्यादा खराब है। अनिल धीरूभाई अंबानी ग्रुप की यह कंपनी 10 भारतीय बैंकों को लोन की किस्त नहीं चुका पाई है। इनमें से कुछ ने आरकॉम के लोन को अपनी एसेट बुक में ‘स्पेशल मेंशन अकाउंट (एसएमए)’ कैटेगरी में डाल दिया है।

एसएमए एसेट्स वैसे लोन को कहते हैं, जिसमें कर्ज लेने वाले का ब्याज बकाया होता है। अगर तय तारीख के 30 दिनों तक इसका भुगतान नहीं होता तो उसे एसएमए 1 और 60 दिनों के बाद एसएमए 2 कैटेगरी में डाल दिया जाता है। वहीं, अगर 90 दिनों तक ब्याज का भुगतान नहीं होता तो लोन नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स (एनपीए) हो जाता है।  यहां के 10 बैंकों ने या तो इस लोन को एसएमए 1 या एसएमए 2 कैटेगरी में डाल दिया है।

केयर और इकरा के रेटिंग घटाए जाने के बाद आरकॉम के शेयर पिछले दो हफ्ते में 20 पर्सेंट गिरे हैं। हालांकि, रेटिंग एजेंसियों के पास एसएमए लोन की जानकारी नहीं है। बैंक आपस में इस इंफॉर्मेशन को शेयर करते हैं और वे आरबीआई को भी इसकी जानकारी देते हैं। केयर ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि मुकेश अंबानी की रिलायंस जियो के चलते आरकॉम का रिस्क प्रोफाइल बढ़ गया है। इसलिए उसकी रेटिंग घटाई गई है।

अगर कंपनी के लोन डिफॉल्ट की जानकारी उन्हें मिलती है तो आरकॉम की रेटिंग में और कुछ नॉच की कमी की जा सकती है।
आरकॉम के लोन डिफॉल्ट के बारे में ईटी की तरफ से पूछे गए सवाल पर कंपनी के प्रवक्ता ने कहा, ‘एयरसेल और ब्रुकफील्ड के साथ डील एग्रीमेंट के बाद आरकॉम ने बैंकों से कहा है कि वह 25,000 करोड़ रुपये का कर्ज 30 सितंबर 2017 तक या उससे पहले चुकाएगी।

उन्होंने यह भी बताया कि आरकॉम अभी इन दोनों सौदों के लिए बैंकों से सहमति ले रही है। उन्होंने कहा कि अपने स्टेकहोल्डर्स के हित में कंपनी जल्द से जल्द दोनों सौदों को पूरा करना चाहती है। प्रवक्ता ने बताया, ‘दोनों डील के लिए कई अप्रूवल पहले ही मिल चुके हैं। दूसरी मंजूरियों को लेकर हम सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।

इन प्लान्स को देखते हुए हमें सभी लोन देनदारियों को समय पर पूरा किए जाने का भरोसा है। इससे कंपनी पर कर्ज भी काफी कम होगा।’ आरकॉम को मार्च 2017 क्वॉर्टर में 966 करोड़ रुपये का लॉस हुआ था। यह लगातार दूसरी तिमाही थी, जब कंपनी घाटे में रही थी। वहीं, वित्त वर्ष 2017 भी कंपनी के लिए लॉस का पहला साल रहा।

टेलीकॉम कंपनी पर 31 मार्च तक 42,000 करोड़ रुपये का कर्ज था, जिसमें वह एयरसेल और ब्रुकफील्ड डील्स के जरिये कमी की उम्मीद कर रही है। आरकॉम ब्रुकफील्ड को अपनी टावर यूनिट रिलायंस इंफ्राटेल की 51 पर्सेंट हिस्सेदारी 11,000 करोड़ रुपये में बेच रही है।