नई दिल्ली। विभिन्न मुद्दों को लेकर केंद्र सरकार तथा भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के बीच चल रहे मतभेद का पटाक्षेप 19 नवंबर को केंद्रीय बैंक के बोर्ड की होने वाली बैठक में हो सकता है। आरबीआई के डेप्युटी गवर्नर विरल आचार्य द्वारा एक संबोधन में केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता को केंद्र सरकार द्वारा खतरा जताए जाने के बाद दोनों के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया है।
बीते 23 अक्तूबर को हुई आरबीआई की बैठक बेनतीजा रही थी। बोर्ड की अगली बैठक में केंद्र द्वारा उठाए गए मुद्दों पर दोनों पक्षों के बीच रस्साकशी से ज्यादा कुछ देखने को नहीं मिलेगा। हालांकि केंद्र सरकार यह साफ कर चुकी है कि केंद्र के आरबीआई के गवर्नर के साथ पहले भी मतभेद रहे हैं और गवर्नर उर्जित पटेल को पद से नहीं हटाया जाएगा।
बैठक के दौरान सरकार बोर्ड में अपने नामित सदस्यों के जरिये अपने उन मुद्दों पर प्रस्ताव पारित करने का दबाव डालेगी, जिन्हें उसने बीते दिनों के दौरान उठाए हैं और उन पर ठोस फैसला हो। इसके कारण दोनों पक्षों के बीच रस्साकशी की स्थिति पैदा हो सकती है।
इस्तीफा देंगे पटेल?
मौजूदा परिस्थितियों में आरबीआई गवर्नर के पास दो ही विकल्प हैं। या तो वह इस्तीफा दें या सरकार की मांगों को मान लें। पटेल एक हद तक ही सरकार का विरोध कर सकते हैं। सरकार आरबीआई ऐक्ट के सेक्शन 7 का इस्तेमाल कर पटेल को अपनी मांगें मानने को मजबूर कर सकती है। अगर पटेल सरकार से सहमति नहीं जताते हैं और सेक्शन 7 का इस्तेमाल होता है, तो उन्हें पद छोड़ना पड़ सकता है।
बोर्ड की भूमिका
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा है कि सरकार 19 नवंबर को होने वाली बैठक में अपने चुने हुए सदस्यों के जरिये आरबीआई गवर्नर पर दबाव डालेगी। हालांकि, इस बात साफ नहीं हुई है कि बोर्ड आरबीआई पर शर्तें थोप सकता है या नहीं।
ये हैं बोर्ड में
18 सदस्यीय बोर्ड में पटेल और चार डेप्युटी गवर्नर, आर्थिक मामलों के सचिव एस.सी. गर्ग, वित्तीय सेवा सचिव राजीव कुमार के अलावा कई नामित सदस्य हैं, जिनमें टाटा संस के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन, महिंद्रा एंड महिंद्रा फाइनैंस के पूर्व प्रमुख बी.एन. दोशी, गुजरात के पूर्व मुख्य सचिव सुधीर मानकंड, कृषि लागत एवं मूल्य आयोग के पूर्व चेरयमैन अशोक गुलाटी, रिक्रूटमेंट कंसल्टेंसी टीमलीज के चेयरमैन सब्बरवाल, सन फार्मा के एमडी एस. शांघवी और आरएसएस के विचारक एस. गुरुमूर्ति शामिल हैं।