नई दिल्ली।15 अक्टूबर के बाद से आपके डेबिट और क्रेडिट कार्ड बंद हो सकते हैं। यह रिजर्व बैंक के फैसले के कारण हुआ है, जिसके चलते क्रेडिट और डेबिट कार्ड देने वाली कंपनियों के लिए परेशानियां काफी बढ़ गई हैं। हालांकि बहुत सी कंपनियों ने इसे मानने से इनकार कर दिया है।
इससे यह भी अंदाजा लगाया जा रहा है कि यदि कार्ड बंद हो गए तो इससे लगभग 90 करोड़ लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है और इससे आगामी त्योहारी सीजन में भी लोगों को परेशानी हो सकती है। गौरतलब है कि हर पेमेंट कंपनी को पेमेंट सिस्टम से जुड़े डाटा का लोकल स्टोरेज करना अब जरूरी कर दिया गया है, जिसके लिए आरबीआई ने 15 अक्टूबर तक की डेडलाइन तय की हुई है।
कंपनियों ने की समय बढ़ाने की मांग
शुक्रवार को, सभी कंपनियों के प्रतिनिधियों ने वित्त मंत्री अरुण जेटली से मुलाकात कर समय बढ़ाने की मांग की है। कंपनियों ने कहा कि उन्हें डाटा स्टोर करने के लिए पूरे 2 साल का समय लगेगा। आरबीआई ने सभी कंपनियों से डाटा स्टोर की कॉपी भी मांगी है। जेटली भी इसके पक्ष में हैं। आरबीआई के फैसले को 62 कंपनियों ने मान लिया है। इनमें अमेजन, व्हाट्सऐप और अलीबाबा जैसी ई कॉमर्स कंपनियां शामिल हैं।
जुलाई में सौंपी गई थी डाटा सुरक्षा की रिपोर्ट
जिन कंपनियों ने भी आरबीआई के नियमों को मानने से इनकार किया है उनका कहना है कि डाटा स्टोरेज से भारत में न सिर्फ लागत बढ़ेगाी, बल्कि इसकी सुरक्षा को लेकर भी सवाल खड़े होंगे। आरबीआई इन कंपनियों को और समय देने के मूड में नहीं है। इन कंपनियों को पहले ही 6 माह का समय दिया जा चुका है। एक उच्च स्तरीय समिति ने डाटा सुरक्षा पर अपनी रिपोर्ट जुलाई में केंद्र सरकार को सौंपी थी।
आर्थिक विकास दर पर पड़ेगा गहरा असर
इस पर ब्राडबैंड इंडिया फोरम का कहना है कि डाटा स्टोरेज से देश के आर्थिक विकास दर पर काफी गहरा असर देखने को मिलेगा। BIF के मुताबिक, डाटा लोकलाइजेशन से अर्थव्यवस्था पर असर पड़ सकता है। इसलिए सरकार को इसमें उदारता का रुख दिखाना चाहिए।