चीन से पशु आहार आयात पर रोक हटाने का अनुरोध

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नई दिल्ली। सरकारी अधिकारियों और आहार विनिर्माताओं के साथ हुई एक बैठक में भारत ने चीन से सफेद सरसों के आहार पर लगाया गया सालों पुराना प्रतिबंध हटाने का अनुरोध किया है। अमेरिका-चीन के बीच बढ़ते व्यापारिक तनाव के बीच भारत कुछ खास कृषि वस्तुओं की बिक्री बढ़ाने पर जोर दे रहा है।

इस बैठक का आयोजन बुधवार को चीन स्थित भारतीय दूतावास में किया गया था। गुरुवार को उद्योग के एक सम्मेलन से इतर इस बैठक में हिस्सा लेने वाले सोया खाद्य के एक परचेजिंग मैनेजर और एकभारतीय अधिकारी ने रॉयटर्स को यह जानकारी दी।

इन दोनों ने कहा कि इस लॉबी का उद्देश्य चीन को सफेद सरसों के आहार की खरीद बहाली के लिए तैयार करना है जो पशु आहार की एक मुख्य सामग्री होता है। देश के अन्य प्रमुख कृषि उत्पादों में चीन की दिलचस्पी बढ़ाना भी लॉबी का उद्देश्य है। 2011 के आखिर में गुणवत्ता संबंधी चिंता को लेकर चीन द्वारा खरीद पर प्रतिबंध लगाए जाने तक चीन भारत के सफेद सरसों आहार का सबसे बड़ा खरीदार था।

2011 में चीन ने 16.1 करोड़ अमेरिकी डॉलर मूल्य के भारतीय तिलहन का आयात किया था। अपना नाम जाहिर न करते हुए भारत के एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि चीन में हुई बैठक बिना किसी ठोस परिणाम के संपन्न हुई है लेकिन इस मुद्दे पर चीन और दिल्ली में और बैठकें होंगी।

सोयाबीन का इस्तेमाल पशु आहार बनाने में किया जाता है। पिछले साल यह चीन को किया जाने वाला अमेरिका का सबसे बड़ा कृषि उत्पाद था जिसका मूल्य 12.7 अरब डॉलर था। चीन पशु आहार की सामग्री के सफेद सरसों जैसे वैकल्पिक स्रोत भी तलाश रहा है।

सोया खाद्य के एक परचेजिंग मैनेजर ने कहा कि जुलाई में चीन ने भारत समेत पांच एशियाई देशों के सोयाबीन, सोया खाद्य और सफेद सरसों से शुल्क हटा दिया था। लेकिन चीन का घरेलू आहार उद्योग अब भी भारतीय उत्पाद की गुणवत्ता को लेकर चिंतित है। मीडिया से बात करने के लिए अधिकृत न होने की वजह से उन्होंने अपनी पहचान उजागर करने से इनकार कर दिया।

दरअसल जांच में कुछ खेपों को मैलकाइट ग्रीन से दूषित पाए जाने के बाद चीन ने आयात पर प्रतिबंध लगा दिया था। यह एक रंग होता है जिसका इस्तेमाल भारत में अनाज की बोरियों पर छाप के लिए किया जाता है।