मुंबई। देश का चालू खाते का घाटा (कैड) चालू वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 2.8 प्रतिशत पर रहेगा। एसबीआई की शोध रिपोर्ट इकोरैप में यह अनुमान लगाया गया है। इसमें कहा गया है कि कच्चे तेल की कीमतों में तेजी तथा निर्यात में धीमी वृद्धि से कैड बढ़ेगा।
रिपोर्ट के अनुसार वस्तुओं का व्यापार असंतुलन भी 2018-19 में बढ़कर 188 अरब डॉलर पर पहुंच जाने का अनुमान है, जो इससे पिछले वित्त वर्ष में 160 अरब डॉलर था। रिपोर्ट में कहा गया है कि कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी तथा निर्यात की सुस्त वृद्धि की वजह से चालू खाते का घाटा चालू वित्त वर्ष में जीडीपी का 2.8 प्रतिशत यानी 75 अरब डॉलर रहेगा।
जुलाई में व्यापार घाटा बढ़कर 18 अरब डॉलर पर पहुंच गया। ऊंचे आयात बिल के बीच निर्यात के कमजोर प्रदर्शन की वजह से व्यापार घाटा बढ़ा है। जुलाई, 2018 में कच्चे तेल का आयात सालाना आधार पर 57.4 प्रतिशत बढ़कर 12.4 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जो इससे पिछले साल के समान महीने में 7.8 अरब डॉलर था।
रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि यदि कच्चे तेल के दाम 2017 के स्तर पर ही रहते तो कच्चे तेल का आयात बिल चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 31.7 प्रतिशत कम रहता। चीन की मुद्रा युआन के अवमूल्यन की वजह से मई और जून में भारत का चीन से आयात बढ़ा है, जबकि अप्रैल में यह घटा था।
रिपोर्ट में कहा गया है कि विनिर्मित वस्तुओं का अयात का रुख समान रहा है। विनिर्मित वस्तुओं में इलेक्ट्रॉनिक्स सामान का आयात सालाना आधार पर इस वित्त वर्ष में घटा है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसे में यह तर्क कि चीन की मुद्रा की वजह से वहां से आयात बढ़ा है, सही प्रतीत नहीं होती। इसमें कहा गया है कि व्यापार घाटे में भारी बढ़ोतरी की वजह इस वित्त वर्ष में अभी तक निर्यात का औसत प्रदर्शन है।