कोटा। सांसद ओम बिरला ने सोमवार को लोकसभा में शून्यकाल एवं नियम 377 के तहत किसानों से जुड़े मुद्दे उठाए और सरकार से जरूरी सुधार का आग्रह किया। सांसद ने न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि को ऐतिहासिक कदम बताते हुए कहा कि अब समर्थन मूल्य की खरीद व भुगतान के लिए राज्य व केंद्र सरकार को पुख्ता व्यवस्था करनी चाहिए।
कमीशन फाॅर एग्रीकल्चर काॅस्ट एंड प्राइज समिति (सीएसीपी) की सिफारिश के अनुसार सरकार ऐसी योजना तैयार करें, ताकि कृषि मंडियों में समर्थन मूल्य से नीचे फसलों की खरीद नहीं हो। सांसद ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय संस्था देलोइत्ते और भारतीय उद्योग संगठन की 2017 में दी गई रिपोर्ट के अनुसार मंडियों तक किसानों की पहुंच खराब सड़कों के कारण कम हो जाती है।
ऐसे में मंडियों के साथ ही, वहां तक की सड़कों को बेहतर बनाया जाए। सरकार 22 हजार ग्रामीण मंडियों और ई-नाम योजना (राष्ट्रीय कृषि विकास) के तहत देश की 585 मंडियों को आपस में जोड़ने की दिशा में काम कर रही है, जो किसानों की भावों की जानकारी को बढ़ाने के साथ ही न्यूनतम समर्थन मूल्य प्राप्त करने में काफी मददगार साबित होगा।
वायदा कारोबार से कृषि जिंसों को अलग किया जाए तो किसानों को समर्थन मूल्य मिलेगा। भावांतर योजना के लिए भी नई नीति लागू की जानी चाहिए। एमएसपी को सहज, सरल और सुचारू करें। सांसद ने कहा कि नीलगाय, जंगली सूअर व अन्य जानवरों द्वारा खेत में खड़ी फसल को खराब करने के कारण किसानों को काफी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के एक अध्ययन के अनुसार जंगली जानवरों के कारण 30 प्रतिशत फसलों का नुकसान होता है। समय के साथ जानवरों की संख्या बढ़ने के कारण फसलों का नुकसान भी बढ़ रहा है। सांसद ने सरकार से मांग की कि वन्यजीवों से फसलों की सुरक्षा के लिए किए जाने वाले विभिन्न उपायों जैसे बाड़बंदी-तारबंदी के लिए किसानों को वित्तीय सहायता दें तथा फसल बीमा में भी उक्त जोखिम को शामिल किया जाए।