इंटरनेट बंद होने से ई-वे बिल में फंसे कपड़ा कारोबारी

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भीलवाड़ा। इंट्रा सिटी ई-वे बिल प्रदेश में 20 मई से लागू हो गया। इस नई व्यवस्था को 41 दिन हुए हैं, लेकिन टेक्सटाइल कारोबारी इतने परेशान हो गए हैं कि सरकार से इसे समाप्त करने की मांग जोर पकड़ने लगी है। भीलवाड़ा के पांच हजार ट्रेडर्स सहित जोधपुर, पाली, बालोतरा, जयपुर के करीब 25 हजार से ज्यादा कपड़ा कारोबारियों पर आर्थिक भार बढ़ गया है।

मेवाड़ चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (एमसीसीआई), लघु उद्योग भारती और टैक्स बार एसोसिएशन ने इंट्रा सिटी मूवमेंट पर ई-वे बिल व्यवस्था को बंद करने की मांग के लिए मुख्यमंत्री को प्रतिवेदन भेजे हैं। इसी सप्ताह मेवाड़ चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री का एक प्रतिनिधि मंडल उद्योग मंत्री राजपाल सिंह और कॉमर्शियल टैक्स डिपार्टमेंट के आयुक्त आलोक गुप्ता से भी मिला था।

24 घंटे में माल नहीं उठाया तो दोबारा नया बिल बनेगा
माल लाने टैंपो या ट्रक चालक 24 घंटे में नहीं आया तो नया ई-वे बिल बना कारण बताना होगा। टेक्सटाइल में जाॅब पर माल की जरूरत रात या दिन में कभी भी पड़ सकती है। रात में बिल नहीं बनने पर माल रोकना पड़ता है। इसलिए उत्पादन प्रभावित हो रहा है।

स्टाफ-सीए की सेवा के कारण भार बढ़ेगा
ई-वे बिल बनाने पर व्यवसायियों को अतिरिक्त स्टाफ रखना पड़ रहा है। बार-बार नियम बदलने के कारण सीए की भी सेवाएं लेनी पड़ती है। इस अनावश्यक आर्थिक भार के कारण कपड़े की उत्पादन लागत पर भी असर आ सकता है।

वास्तविक कीमत का पता नहीं, अंदाज से बन रहे हैं ई-वे बिल
ई-वे बिल बनाने में यार्न व कपड़े की वास्तविक कीमत का निर्धारण नहीं हो रहा। क्योंकि कपड़े वाले को यार्न और प्रोसेस वाले को कपड़े की वास्तविक कीमत का पता नहीं होता है। अभी ई-बिल में जो कीमतें भरी जा रही हैं वह अंदाज से ही भरी जा रही है।