प्राकृतिक गैस जीएसटी के दायरे में आएगी, काउंसिल की अगली बैठक में चर्चा

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नई दिल्ली। जीएसटी काउंसिल की अगली बैठक में प्राकृतिक गैस को इसके दायरे लाने पर विचार हो सकता है। काउंसिल के संयुक्त सचिव धीरज रस्तोगी ने शुक्रवार को पीएचडी चैंबर के एक कार्यक्रम में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पेट्रोलियम पदार्थों में सबसे पहले प्राकृतिक गैस को परीक्षण के तौर पर जीएसटी के दायरे लाया जाएगा। इसके बाद विमान ईंधन (एटीएफ) को इसके दायरे में लाने की कोशिश होगी।

अभी केरोसिन, नैप्था और एलपीजी जीएसटी के दायरे में हैं। लेकिन क्रूड ऑयल, प्राकृतिक गैस, विमान ईंधन, डीजल और पेट्रोल को इससे बाहर रखा गया है। रस्तोगी ने सप्लाई की परिभाषा में संशोधन के भी संकेत दिए। उन्होंने कहा कि इस तरह के कई मुद्दे काउंसिल के सामने हैं। सप्लाई की परिभाषा को लेकर कुछ भ्रम है जिसे दूर किया जाना है।

हाल में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में आई तेजी के बाद इन्हें जीएसटी के दायरे में लाने की मांग जोर-शोर से उठी है। अभी इन पर राज्य वैट लगाते हैं जबकि केंद्र सरकार एक्साइज ड्यूटी लगाती है। पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान भी कई बार कह चुके हैं कि पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया जाना चाहिए।

कम इनपुट टैक्स क्रेडिट क्लेम करने वाली कंपनियों को नोटिस
कुछ कंपनियां ऐसी भी हैं जिनका जीएसटी नेटवर्क पर इनपुट क्रेडिट क्लेम ज्यादा बनता है, लेकिन वे कम क्रेडिट क्लेम कर रही हैं। टैक्स अधिकारी इन्हें नोटिस भेज रहे हैं।

उनका कहना है कि या तो यह अंतर गलती से हुआ है, या फिर कंपनियों ने टैक्स चोरी की कोशिश की है। मोबाइल फोन, एलसीडी, फुटवियर, महंगे कपड़े, ज्वैलरी जैसे सेगमेंट में ब्लैक मार्केट में सप्लाई होती है और उनका कोई क्रेडिट क्लेम नहीं किया जाता है।