राहत : अब हर साल वाहन का थर्ड पार्टी बीमा कराने की जरूरत नहीं

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नई दिल्ली। आने वाले दिनों में आपको अपने वाहन का थर्ड पार्टी बीमा हर साल कराने की जरूरत शायद न पड़े। वाहन का बीमा कई वर्षों के लिए एक साथ हो सकता है। भारतीय बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा) ने साधारण बीमा कंपनियों को वाहनों का दीर्घकालिक थर्ड पार्टी बीमा करने की सलाह दी है। यदि बीमा कंपनियों ने इस सलाह पर अमल किया तो बार -बार बीमा के झंझट के साथ प्रीमियम में भी राहत मिल सकती है।

बीमा कंपनियों को लिखे पत्र में इरडा ने कहा है कि वाहनों का वार्षिक बीमा करने की बजाय उन्हें तीन और पांच वर्ष का बीमा करने पर विचार करना चाहिए। इससे प्रीमियम की दरें कम होंगी और ज्यादा से ज्यादा लोग वाहनों का बीमा कराने को प्रेरित होंगे। अभी वाहनों का थर्ड पार्टी बीमा अनिवार्य होने के बावजूद 50 फीसद से कुछ ज्यादा ही वाहनों का बीमा हो पाता है।

इरडा ने इस स्थिति को परिवहन क्षेत्र में सुधारों के लिहाज से नुकसानदेह मानते हुए बीमा कंपनियों को दीर्घकालिक बीमा पॉलिसी जारी करने का सुझाव दिया है। इरडा की सलाह है कि चौपहिया वाहनों की बीमा पॉलिसी तीन वर्ष और दोपहिया वाहनों की पांच वर्ष के लिए जारी की जानी चाहिए। हालांकि कुछ कंपनियां तीन साल की अवधि की बीमा पॉलिसी अभी भी दे रही हैं।

इरडा की मानें तो लंबी अवधि की बीमा पॉलिसियों से प्रीमियम में कमी आने के साथ-साथ पॉलिसीधारकों को कई अन्य लाभ प्राप्त होंगे। मसलन, इससे ज्यादा से ज्यादा लोग वाहनों का बीमा कराने को प्रेरित होंगे क्योंकि उन्हें पालिसी का हर साल नवीकरण नहीं कराना पड़ेगा। दूसरे, इससे प्रीमियम दरों में स्थायित्व आएगा और वाहन स्वामी प्रीमियम में जल्दी-जल्दी होने वाली बढ़ोतरी के तनाव से राहत महसूस करेंगे।

दीर्घकालिक वाहन बीमा से बीमा कंपनियों को भी लाभ होगा क्योंकि दीर्घकालिक पॉलिसी जारी करने से ज्यादा वाहनों का बीमा करना उनके लिए संभव होगा। बीमित वाहनों की संख्या बढ़ने से दावों के भुगतान पर आने वाली लागत में कमी आएगी। इरडा का कहना है कि यदि साधारण बीमा कंपनियां दीर्घकालिक थर्ड पार्टी बीमा उत्पाद बाजार में लाने की मंशा जताती हैं तो इरडा इन उत्पादों के लिए उपयुक्त प्रीमियम निर्धारित करने की प्रक्रिया प्रारंभ कर देगा।

दीर्घकालिक वाहन बीमा पर सरकार की राय जानने के लिए जब केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग सचिव युद्धवीर सिंह मलिक से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि अभी तक इरडा ने इस विषय में मंत्रलय से संपर्क नहीं साधा है। परंतु यदि ऐसा प्रस्ताव आता है तो हम उस पर अवश्य विचार करेंगे।