नई दिल्ली। रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने MSME के लिए NPA क्लासिफिकेशन नार्म्स में ढील दी है। इससे उन यूनिट्स को राहत मिलेगी जो इनपुट क्रेडिट और ऐसे ही अन्य मामलों में दिक्कत झेल रही हैं। इन यूनिटों के लोन को 180 दिनों के बाद ही NPA माना जाएगा, जिसके लिए अभी तक 90 दिनों का ही समय मिल रहा था।
छह महीने का मिलेगा समय
फाइनेंशियल सर्विस सेक्रेट्री राजीव कुमार के अनुसार दिसबंर तक जिन MSMEs का बकाया था, उनको अब 180 दिन मिलेंगे। इससे NPA की दिक्कत झेल रही कंपनियों को राहत मिलेगी। यह सुविधा GST और नाॅन GST वाली दोनों कंपनियों को मिलेगी, जिससे नॉन GST वाली कंपनियों का GST में रजिस्ट्रेशन में रुझान बढ़ेगा।
कारोबारियों को फॉर्मल सेक्टर में आने में मिलेगी मदद
इससे पहले फरवरी में बैंक और NBFCs से कहा गया था कि वह GST में रजिस्टर्ड माइक्रो, स्मॉल और मीडियम इंटरप्राइजेज (MSMEs) को, जिसको 25 करोड़ रुपए तक का लोन दिया है, अलग से क्लासीफाइड करें। रिजर्व बैंक अपनी मॉनिटरिंग पॉलिसी में कहा है इस बदलाव से ऐसे कारोबारियों को फॉर्मल सेक्टर की आने में मदद करेगा। उन्होंने कहा कि ऐसे कारोबारियों के लोन को 180 तक न चुकाने पर ही NPA माना जाएगा।
GST में आने वालों को बाद में भी मिलेगा फायदा
31 दिसबंर 2018 तक जो कारोबारी GST में नहीं आएंगे, उनके लिए 1 जनवरी 2019 से NPA के नियम फिर से 90 दिनाें वाले लागू हो जाएंगे। GST में आने वाले कारोबारियों के लिए यह छूट 180 दिनों की रहेगी।