नई दिल्ली। सरकार ने सरकारी बैंकों के रिफॉर्म के लिए पैरामीटर तय करने की कवायद शुरू कर दी है। इन पैरामीटर के आधार पर सरकारी बैकों को अपनी सर्विसेज में सुधार करना होगा। इस कवायद में जुटा इंडियन बैंक एसोसिएशन अगले छह माह के भीतर ये पैरामीटर तैयार कर देगा। सरकारी बैंकों में बढ़ते एनपीए और फ्रॉड के मामलों को देखते हुए फाइनेंस मिनिस्ट्री ने रिफॉर्म की घोषणा पिछले साल की थी।
क्या है रिफॉर्म एजेंडा?
फाइनेंस मिनिस्ट्री ने इंडियन बैंक सिस्टम में 70 फीसदी हिस्सेदारी वाले सरकारी बैंकों के रिफॉर्म एजेंडा तैयार किया है। इसे पब्लिक सेक्टर बैंक रिफॉर्म एजेंडा – ईज ऑफ एक्सेस सर्विस एक्सीलेंस (EASE) कहा गया है। इस एजेंडे के मुताबिक, क्लीन लैंडिंग, बेहतर कस्टमर सर्विस, क्रेडिट की उपलब्धता बढ़ाना, एमएसएमई पर फोकस बढ़ाना और अच्छी गवर्नेंस देना बैंकों की वरीयता होगी। इसके लिए आईबीए (इंडियन बैंक एसोसिएशन) द्वारा इस रिफॉर्म एजेंडा के तहत बैकों की परफॉर्मेंस की मॉनिटरिंग की जाएगी।
इन 6 थीम पर होगा रिफॉर्म एजेंडा
आईबीए के मुताबिक, छह थीम पर बैंकों के रिफॉर्म का एजेंडा तैयार किया जा रहा है। इसमें कस्टमर की प्रतिक्रिया, बैंकों की रिस्पॉन्सबिलिटी, क्रेडिट ऑफ टेक, एक उद्यमी मित्र के नाते बैंकों की भूमिका, बैंकों का डिजिटलाइजेशन और फाइनेंशियल इन्क्लूजन, ह्यूमन रिसोर्स का आउटकम शामिल हैं।
कंपनी की तलाश
आईबीए को ऐसी कंपनी की तलाश है, जिसे भारत की बैंकिंग प्रणाली की अच्छी समझ हो और वह रिफॉर्म एजेंडा को लागू करने वाले पैरामीटर तैयार कर सके। यह कंपनी आईबीए को कंसलटिंग सर्विस प्रोवाइड कराएगी, जिससे बैंकिंग रिफॉर्म को लागू किया जा सके।
एंड टू एंड एक्सक्यूशन पर फोकस
आईबीए ने स्पष्ट किया है कि पब्लिक सेक्टर बैंक के रिफॉर्म एजेंडा के लिए तैयार हो रहे पैरामीटर में इस बात पर फोकस होगा कि रिफॉर्म का फायदा आखिर तक पहुंचे। यानी कि रिफॉर्म एजेंडे का एक्सक्यूशन एंड-टू-एंड हो। इसमें बैंकों को बताया जाएगा कि वे अपनी किन सर्विसेज को इम्प्रूव करे।
क्यों पड़ी जरूरत?
जानकार बताते हैं कि नीरव मोदी कांड के बाद सरकार ने सरकारी बैंकों के रिफॉर्म की प्रक्रिया शुरू की थी। इसके अलावा सरकारी बैंकों के बढ़ते एनपीए की वजह से भी सरकार पर सरकारी बैंकों के रिफॉर्म का दबाव बढ़ा।
इसके चलते सरकार ने अक्टूबर 017 में सरकार ने सरकारी बैंकों के रिकैपिटलाइजेशन की घोषणा की थी। वहीं, जनवरी जनवरी 2018 में रिफॉर्म की घोषणा की गई। एक रिपोर्ट के मुताबिक, दिसंबर 2017 तक सरकारी बैंकों का एनपीए 8.41 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गया था। जिसमें लगातार वृद्धि हो रही है।