नई दिल्ली। डीजल और पेट्रोल की कीमतें इस साल नई ऊंचाइयों को छू सकती हैं। वर्ल्ड बैंक (World bank) ने एक ताजा रिपोर्ट में इसका खुलासा किया है। बैंक की कैलकुलेशन के मुताबिक, इसकी कीमतों में करीब 20% तक का इजाफा हो सकता है।
वर्ल्ड बैंक ने अप्रैल की कमोडिटी मार्केट आउटलुक रिपोर्ट में यह अनुमान जताया है। भारत अपनी जरूरत का करीब 82 फीसदी तेल आयात करता है। इन दिनों इंटरनेशनल मार्केट में कच्चे तेल की कीमतें 74 डॉलर प्रति बैरल चल रही है।
रिपोर्ट के मुताबिक, क्रूड के दाम 2019 में औसतन 65 डॉलर प्रति बैरल रहने का अनुमान है। 2017 में यह कीमत 53 डॉलर प्रति बैरल थी। हालांकि, अप्रैल 2018 के स्तर से क्रूड की कीमतों में गिरावट आने का अनुमान है। रिपोर्ट में वर्ल्ड बैंक के एक्टिंग चीफ इकोनॉमिस्ट शांतयनन देवराजन ने कहा है, “दाम बढ़ने में तेज होती वैश्विक ग्रोथ और मजबूत मांग का बड़ा योगदान है।”
क्रूड ऑयल के भाव में उछाल से नए फाइनेंशियल ईयर के पहले ही दिन पेट्रोल-डीजल की कीमतों में तेजी देखी गई। राजधानी दिल्ली में 26 अप्रैल को पेट्रोल की कीमत 74.63 और मुंबई में 82.48 रुपये पहुंच गई है। वहीं डीजल का रेट दिल्ली में 65.93 और मुंबई में 70.20 रुपए प्रति लीटर है। अगर इनमें 20 फीसदी का इजाफा हो जाता है तो दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 88 रुपए और मुंबई में 98 रुपए हो जाएगी।
बता दें कि भारत में पेट्रोल-डीजल के दाम साउथ एशियाई देशों में सबसे ज्यादा हैं। इसकी वजह है कि भारत में सरकार इंटरनेशनल मार्केट में तेल के पंप रेट का आधा टैक्स लगा देती है। बता दें कि सरकारी तेल कंपनियां जून, 2017 से पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स की कीमतों की रोज समीक्षा करती हैं। इसके चलते हर दिन रेट बदलते हैं।
पेट्रोलियम मंत्रालय ने की थी ड्यूटी घटाने की मांग
पेट्रोलियम मंत्रालय ने साल की शुरुआत में पेट्रोल-डीजल की कीमतें कम करने के लिए एक्साइज ड्यूटी घटाने की मांग की थी, ताकि इंटरनेशनल मार्केट में तेल की बढ़ती महंगाई से ग्राहकों को राहत दी जा सके। पर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 1 फरवरी, 2018 को पेश किए बजट में इसे नजरअंदाज कर दिया।
अरुण जेटली ने नवंबर, 2014 से जनवरी 2016 के बीच एक्साइज ड्यूटी में 9 बार बढ़ोत्तरी की। जबकि इस दौरान ग्लोबल मार्केट में तेल कीमतों में गिरावट आई थी। इसके बाद सरकार ने अक्टूबर, 2017 में सिर्फ एक बार 2 रुपए प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी में कटौती की।
केंद्र ने राज्य सरकारों को तेल पर वैट में कटौती करने के लिए भी कहा। इसके बाद सिर्फ 4 राज्यों महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश (तीनों भाजपा शासित) और हिमाचल प्रदेश (तब कांग्रेस शासित) ने वैट घटाया था।