नई दिल्ली। देश के कुछ कर्पोरेट ने भ्रष्टाचार के चलते कारोबार के घूस देने जैसी बातों को स्वीकार किया है। यह सर्वे EY ने किया 50 कार्पोरेट शामिल हुए, जिनमें से 20 ने व्यापक भ्रष्टाचार की बात मानी। हालांकि इस सर्वे में शामिल कार्पोरेट्स ने स्वीकार किया कि यह भ्रष्टाचार जहां 2012 में 70 फीसदी था, वहीं अब इसका स्तर गिरकर 40 फीसदी पर आ गया है।
55 देशों में हुआ है यह सर्वे
EY के अनुसार यह सर्वे 55 देशों में अक्टूबर 2017 से जनवरी 2018 के बीच किया गया है। इस दौरान 2550 कार्पोरेट्स से बातचीत की गई। इनमें सीनियर कार्पोरेट्स से बात की गई जो महत्वपूर्ण पदों पर हैं।
40 फीसदी भारतीय कार्पोरेट्स ने भ्रष्टाचार को माना
इस सर्वे में शामिल होने वाले कार्पोरेट्स भारत के कार्पोरेट्स में से 40 फीसदी का मानना था कि कारोबार के दौरान घूस देनी पड़ती है। इस सर्वे में भारत की जो कंपनियां शामिल हुई थीं उनका रेवेन्यू 1 से लेकर 5 अरब डालर तक का है।
इनमें से 18 कंपनियों की रेवेन्यू 500-999 मिलियन डालर, 16 कंपनियों की रेवेन्यू 100 से 499 मिलियन डालर और 9 कंपनियों की रेवेन्यू 99 मिलियन डालर से कम थी।
हर पांच में से 1 ने कैश देने की बात मानी
इस सर्वे में शामिल लोगों ने स्वीकार किया है कि भ्रष्टाचार को जस्टीफाई कराने के लिए तर्क गढ़े जाते हैं। सर्वे में शामिल हर 5 कार्पोरेट्स में से 1 ने स्वीकार किया है कि काम के बदले कैश देना पड़ता है। वहीं हर 6 में से 1 भारतीय कार्पोरेट्स ने स्वीकार किया कि कांट्रेक्ट पाने के लिए रिश्वत देनी पड़ती है।
रिपोर्ट के अनुसार 44 फीसदी भारतीय कार्पोरेट्स ने स्वीकार किया है कि उन्हें कैश, इंटरटेनमेंट, पर्सनल गिफ्ट या अन्य किसी तरीके से कुछ न कुछ देना पड़ता है। इसके बिना कारोबार कठिन है। वहीं 12 फीसदी ने माना कि पिछले दो साल में फ्रॉड जैसे मामले बढ़ें हैं, जिसके चलते 2012 के बाद से ग्लोबल इंफोर्समेंट एजेंसीज ने करीब 11 अरब डालर का पेनाल्टी लगाई हैं।