नई दिल्ली। प्राइवेट बैंकों के चीफ एग्जिक्युटिव ऑफिसर्स (सीईओ) को वित्त वर्ष के अंत में मिलने वाले बोनस को इस बार रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने अभी तक अप्रूव नहीं किया है। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्रीय बैंक ने इन बैंकों के प्रदर्शन का हवाला देते हुए बोनस के आकार पर सवाल उठाए हैं और बोनस प्रस्ताव पर अभी तक साइन नहीं किया है।
ब्लूमबर्ग ने इस मामले से जुड़े सूत्रों के हवाले से बताया है कि कि 31 मार्च 2018 को समाप्त हुए वित्त वर्ष के लिए एचडीएफसी, आईसीआईसीआई और एक्सिस बैंक के सीईओ को बोनस नहीं मिला है। जानकारों के मुताबिक ऐसा पहली बार है जब बोनस मिलने में देरी हुई है। बैंकों में एक के बाद एक फ्रॉड उजागर होने की वजह से ऐसा हुआ है।
आईसीआईसीआई बोर्ड ने सीईओ चंदा कोचर के लिए 2.2 करोड़ बोनस को मंजूरी दी है, जबकि एक्सिस बैंक की शिखा शर्मा को 1.35 करोड़ बोनस मिलेगा और एचडीएफसी बैंक के आदित्य पुरी को करीब 2.9 करोड़ रुपये मिलना है। इस मामले में बैंकों की प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।
सरकारी बैंकों के मुकाबले मजबूत माने जाते रहे प्राइवेट बैंकों के लिए कठिन समय है। एक के बाद एक बैड लोन के मामलों का खुलासा हो रहा है। डिफॉल्टर्स की संख्या बढ़ने से दबाव बढ़ रहा है।
रिलायंस सिक्यॉरिटीज लिमिटेड के बैंकिंग एनालिस्ट आशुतोष कुमार मिश्रा कहते हैं कि इस तरह की देरी पहले कभी नहीं हुई थी, लेकिन तब हमने बैड लोन के इतने मामले भी सामने आते नहीं देखे थे।