कोटा। लंबे इंतजार के बाद आखिरकार मुकुंदरा को अपना पहला राजा मिल ही गया। मुकुन्दरा हिल्स को 9 अप्रेल 2013 को टाइगर रिजर्व घोषित किया गया था, इसके बाद पहले बाघ को यहां आने में 5 साल लग गए। दरअसल रामगढ़ के जंगलों में बाघ टी-91 को ट्रेंकुलाइज करने की जो कोशिश कई समय से जारी थी वो मंगलवार को रंग लाई। सुबह पांच बजे टी-91 को ट्रेंकुलाइज कर लिया गया।
वाइल्ड लाइफ एक्सपट्र्स ने बाघ के पूरी तरह बेहोश होने के बाद उसे स्ट्रेक्चर पर रखा और केज में शिफ्ट कर दिया। इसके थोड़ी देर बार टी-91 का बीपी चैक कर ब्लड सेम्पल लिए गए। करीब 7 बजे होश आने के बाद बाघ को रामगढ़ अभ्यारण्य के लिए रवाना कर दिया। और इस तरह टी-91 को भी मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व के तौर पर अपना नया घर मिल गया।
देश में बाघों की बसावट व आबादी के लिए एक से बढ़कर एक प्राकृतिक व मुफीद वन्यक्षेत्र हैं, लेकिन फिर भी कई अभयारण्यों में बाघों का कुनबा बढ़ाने व उन्हें सुरक्षित माहौल देने में सरकार व वन विभाग को पसीने आ रहे हैं। इसके उलट मुकुन्दरा हिल्स टाइगर रिजर्व बाघों के लिए किसी जन्नत से कम नहीं।
ऐसा है टाइगर रिजर्व
मुकुन्दरा हिल्स को 9 अप्रेल 2013 को टाइगर रिजर्व घोषित किया गया। यह करीब 760 वर्ग किमी में चार जिलों कोटा, बूंदी, झालावाड़ व चित्तौडगढ़़ में फैला है। करीब 417 वर्ग किमी कोर और 342 वर्ग किमी बफर जोन है। इसमें मुकुन्दरा राष्ट्रीय उद्यान, दरा अभयारण्य, जवाहर सागर व चंबल घडिय़ाल अभयारण्य का कुछ भाग शामिल है।
ऐतिहासिक व धार्मिक स्थल भी
रिजर्व में 12वीं शताब्दी का गागरोन का किला, 17वीं शताब्दी का अबली मीणी का महल, पुरातात्विक सर्वे के अनुसार 8वीं-9वीं शताब्दी का बाडोली मंदिर समूह, भैंसरोडगढ़ फोर्ट, 19वीं शताब्दी का रावठा महल, शिकारगाह समेत कई ऐतिहासिक व रियासतकालीन इमारतें, गेपरनाथ, गरडिय़ा महादेव भी हैं, जो कला-संस्कृति व प्राचीन वैभव को दर्शाती हैं।