नई दिल्ली । सरकार ने चने के निर्यात के लिए सात फीसद प्रोत्साहन (ड्यूटी बेनिफिट) की अवधि तीन महीने बढ़ा दी है। मर्केंडाइज एक्सपोर्ट्स फ्रॉम इंडिया स्कीम (एमईआइएस) के तहत उत्पाद और आयातक देश के हिसाब से ड्यूटी बेनिफिट दिया जाता है।
विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने एक सार्वजनिक सूचना में कहा कि एमईआइएस प्रोत्साहन की अवधि तीन महीने के लिए बढ़ाई गई है। यह प्रोत्साहन फ्री-ऑन-बोर्ड (एफओबी) मूल्य पर तय होती है। यह प्रोत्साहन नकद रूप में नहीं मिलता है बल्कि ड्यूटी क्रेडिट स्क्रिप के रूप में इसे कस्टम ड्यूटी समेत कई तरह की ड्यूटी के भुगतान में इस्तेमाल किया जा सकेगा।
निर्यात बढ़ाने को 12 चैंपियन सेवाओं को मिलेगा प्रोत्साहन
वाणिज्य व उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा है कि सरकार कुल निर्यात में सेवा क्षेत्र की हिस्सेदारी बढ़ाने की रणनीति पर काम कर रही है। वस्तुओं के निर्यात के मुकाबले सेवा निर्यात की रफ्तार ज्यादा तेज है। यहां कैपइंडिया के कार्यक्रम का उद्घाटन करने के बाद प्रभु ने कहा कि पिछले कुछ महीनों से निर्यात बढ़ रहा है।
हम प्रयास कर रहे हैं कि सिर्फ पारंपरिक उत्पादों का ही नहीं बल्कि नए उत्पादों का भी निर्यात तेजी से हो। हमने 12 सेवाओं को चैंपियन सर्विसेज के तौर पर पहचाना गया है। सरकार पहले ही आइटी, पर्यटन और हॉस्पीटैलिटी समेत 12 चैंपियन सर्विस सेक्टरों को बढ़ावा देने के लिए 5000 करोड़ रुपये मंजूर कर चुकी है।
देश में कारोबार करना आसान बनाने की कवायद के तहत अब सरकार विदेश व्यापार के नियमों को सरल बनाने में जुट गई है। प्रधानमंत्री कार्यालय ने वाणिज्य मंत्रालय को निर्देश दिया है कि वस्तुओं की अंतरराष्ट्रीय माल परिवहन से जुड़ी प्रक्रियाओं को आसान बनाने संबंधी कदम उठाए जाएं। इससे भारत के ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की रैंकिंग को और सुधारने में मदद मिलेगी।
ईज ऑफ डूईंग बिजनेस के तहत देश से बाहर के कारोबार की श्रेणी में दुनिया में 190 देशों की सूची में भारत 146वें स्थान पर है। वाणिज्य मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक चूंकि इन मानकों पर भारत की रैंकिंग बेहद खराब है लिहाजा प्रधानमंत्री ने इस संदर्भ में मंत्रलय से कदम उठाने को कहा है।
सूत्रों के मुताबिक मंत्रालय के लॉजिस्टिक डिवीजन ने इस दिशा में काम करना शुरू कर दिया है और कई प्रक्रियागत दिक्कतों को दूर कर दिया जाएगा। इससे अगले साल की रिपोर्ट में अपेक्षाकृत सुधार होने की उम्मीद है। इस दिशा में कदम आगे बढ़ाते हुए मंत्रालय ने विदेश व्यापार से जुड़े सभी पक्षों बंदरगाहों, कस्टम, रेगुलेटरी निकायों से अपने कामकाज को ऑनलाइन बनाने का आग्रह किया है।
अधिकारी ने बताया कि सभी से कहा गया है कि वे निर्यात और आयात से जुड़ी सभी मंजूरियां ऑनलाइन कर दें। कार्यकुशलता बढ़ाने के लिए कागजी कार्यवाही को इस प्रक्रिया से दूर किया जाए। मंत्रालय का मानना है कि इससे न केवल समय बचेगा बल्कि कारोबारियों की लागत भी कम होगी।
मंत्रालय ने कस्टम विभाग से डायरेक्ट पोर्ट डिलीवरी शुरू करने का आग्रह भी किया है। इससे कार्गो की आवाजाही की रफ्तार बढ़ेगी। निर्यातकों के मुताबिक अभी कार्गो क्लियरिंग में काफी दिन लगते हैं। इससे समय की बर्बादी होती है और कारोबारियों की लागत भी बढ़ती है।
डायरेक्ट पोर्ट डिलीवरी सुविधा शुरू हो जाने से इसमें लगने वाला समय केवल 50 घंटे का रह जाएगा। कार्गो क्लियरेंस में कम समय लगने से निर्यात जल्दी ऑर्डर पर माल भेज सकेंगे।