कोटा। भामाशाह मंडी में गुरुवार से शुरू हुई चने की समर्थन मूल्य पर खरीद व्यवस्था से दर्जनों किसान नाराज दिखे। वह अव्यवस्थाओं से परेशान होकर अपनी उपज वापस घर ले गए। बार-बार सरकारी ऑनलाइन व्यवस्था को कोसते नजर आए। चना बेचने आए अन्य किसानों ने बताया कि सरकार की किसानों की उपज खरीदने की मंशा ही नहीं है।
भामाशाह कार्ड की अनिवार्यता : किसानों को ऑनलाइन पंजीयन में ऐसा उलझाकर रख दिया कि वह चाह कर भी उपज को समर्थन मूल्य पर नहीं बेच पा रहा। सबसे ज्यादा परेशानी बटाईदार किसानों को आ रही है। खेत मालिक द्वारा नकल गिरदावरी उपलब्ध कराने के बावजूद भी बटाईदार किसान की उपज की तुलाई नहीं की गई। वहीं ऑनलाइन पंजीयन में भामाशाह कार्ड की अनिवार्यता से कई किसान परेशान दिखे।
भामाशाह मंडी स्थित खरीद केंद्र पर चने की तुलवाई के लिए राजफैड ने बुधवार को 73 किसानों को मैसेज भेजे हैं। यह मैसेज रात को सोने के बाद किसानों के मोबाइल पर आए। ऐसे में कई किसान तो मैसेज पढ़ ही नहीं पाए। जिन किसानों ने रात को ही मैसेज पढ़ लिए थे, वे सुबह चना बेचने पहुंचे। मंडी में गुरुवार को करीब 20 से ज्यादा किसान उपज बेचने पहुंचे। इनमें से आठ दस किसानों का ही चना समर्थन मूल्य पर तुल पाया।
सरसों, गेहूं खरीद केंद्र पर पसरा सन्नाटा
भामाशाह मंडी में सरसों व गेहूं के खरीद केंद्र पर दिनभर सन्नाटा पसरा रहा। एफसीआई ने गेहूं खरीद केंद्र पर सिर्फ बैनर लगाया। वहीं हैंडलिंग एजेंट ने टेबल कुर्सी लगवा दी, लेकिन गुरुवार को एक भी किसान उपज बेचने नहीं पहुंचा। सरसों उत्पादक किसानों को मैसेज नहीं मिलने के कारण वे खरीद केंद्र पर उपज बेचने नहीं पहुंचे।