कोटा। नहरों में पानी का रेगुलेशन को लेकर अधिकारियों की मनमानी के कारण से किसानों की फसलें सूखने की कगार पर पहुंच चुकी हैं। परियोजना समिति की ओर से रेगुलेशन का जो प्लान बनाकर दिया जाता है, अधिकारी उसे दरकिनार करते हुए राजनेताओं के कहने पर पानी का रेगुलेशन करते है। जिससे रेगुलेशन का सारा सिस्टम खराब हो चुका है।
अधिकारी आॅफिसों में बैठकर मनमानी करते हैं, जिसका खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है। ऐसे दोषी अधिकारियों के विरूद्ध कार्रवाई की जानी चाहिए। यह बातें चम्बल परियोजना समिति की बैठक में सदस्यों की ओर से कही गईं। समिति की बैठक बुधवार को सीएडी सभागार में अध्यक्ष सुनील गालव की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई, लेकिन सीएडी का कोई अधिकारी बैठक में उपस्थित नहीं हुआ।
चोरी और सीनाजोरी
इस दौरान पानी रेगुलेशन के गलत वितरण के कारण से सूखी फसलों के लिए जिम्मेदारी तय करने और सर्वे कराकर मुआवजा देने का प्रस्ताव पारित किया गया। अध्यक्ष गालव ने कहा कि अधिकारियों की स्थिति ऐसी हो गई है कि चोरी भी करेंगे और कोई कहे भी नहीं। पानी वितरण को समितियों को सौंपने की बात 3 महीने पहले ही लिखकर दे दी थी। जिसके बाद जयपुर इस पत्र को लटकाकर रखा गया और सचिव तक नहीं पहुंचने दिया गया।
इसके बाद पायलट प्रोजेक्ट के तहत कुछ समितियों को यह कार्य सौंपने का समझौता हुआ। जिस पर परियोजना समिति ने सहमति भी दे दी थी, लेकिन उस पर भी कोई काम नहीं हो पाया है। बिना नहरी सफाई के टेल तक पानी नहीं पहुंच सकता है। सांसद और विधायकों की मौजूदगी में सफाई की बात हुई थी, लेकिन सफाई नहीं कराई गई है।
उन्होंने कहा कि एक्सईएन देवराज शर्मा फील्ड में नहीं जा रहे हैं, उन्हें निलम्बित किया जाना चाहिए। रेगुलेशन के समय पर ही अधिकारी छुट्टी पर चले जाते हैं। इन अधिकारियों के निलम्बित होने तक समितियां कार्य का बहिष्कार करेंगी। वहीं, नहरों पर कोई निर्माण कार्य भी नहीं करने दिया जाएगा।
किसानों को नुकसान, उन्हीं पर मुकदमें
हरिप्रकाश मीणा ने कहा कि गैंता डिस्टरब्यूटरी में 2 फीट भी पानी नहीं चल रहा है। अधिकारियों की हठधर्मिता और द्वेषता के कारण से किसानों को नुकसान हो रहा है। सारा सिस्टम अधिकारी बिगाड़ते हैं और मुकदमें किसानों पर लगाते हैं। हरिशंकर मीणा ने कहा कि जातिसूचक शब्दों से अपमान करके भी मुकदमे हमारे ऊपर ही लगाए जा रहे हैं।
फसल सूख चुकी
उनके पास संसाधन है, पुलिस हैं। हम पानी के लिए चक्काजाम करते हैं तो हमारे ऊपर केस लाद दिए जाते हैं। आज स्थिति यह है कि हेड और टेल दोनों ही सूख रहे हैं। कालिया माइनर पर गेहूं की फसल सूख चुकी है। अधिकारी बुलाने पर भी नहीं आते हैं। यदि आन्दोलन के लिए जयपुर चलना पड़ा तो वहां भी चलने को तैयार हैं।
नहरों में ठीक से जलप्रवाह नहीं
सेवानिवृत पटवारी दशरथ कुमार ने कहा कि धरातल पर काम नहीं होने के कारण से नहरों में ठीक से जलप्रवाह नहीं हो पाता है। जब तक बाडाबंदी ठोस रूप से लागू नहीं होगी, तब तक पानी देना संभव नहीं है। गंगानगर में बाड़ाबंदी के कारण से पानी भी मिलता है और वसूली भी सौ प्रतिशत होती है। हमारे यहां बाड़ाबंदी के कारण से हेड पर ही 40 प्रतिशत पानी वेस्ट हो जाता है।
साढे छह करोड भी मिट्टी में मिल गए
हनोतिया के कृष्णकुमार सोनी ने कहा कि यदि 120 गेज पानी नहीं चला तो अधिकारियों को सीट पर बैठनें नहीं देंगे। दिलीप सिंह इटावा ने कहा कि नहर को छिलकर साढे छह करोड का भुगतान उठा लिया गया। इसमें नहर में भरी गई मिट्टी जलप्रवाह के साथ ही बह गई और साढे छह करोड भी मिट्टी में मिल गए।