3 साल बाद क्रूड 70 डॉलर प्रति बैरल के पार

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नई दिल्ली। आम बजट से पहले कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें मोदी सरकार के लिए मुसीबत बन गई हैं। ब्रेंट क्रूड की कीमतें दिसंबर 2014 के बाद पहली बार 70 डॉलर प्रति बैरल को पार कर गई हैं। इस तेजी का असर पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर देखा जा रहा है।

सोमवार को दिल्ली में पेट्रोल 71 रुपए प्रति लीटर तो डीजल 61.74 रुपए प्रति लीटर के रिकॉर्ड लेवल पर पहुंच गया। वहीं, पेट्रोल-डीजल महंगा होने से आम आदमी की जेब पर बोझ लगातार बढ़ रहा है। 

क्रूड की कीमतें 70 डॉलर के पार 
क्रूड की कीमतों में आई तेजी से इंपोर्ट करने वाले देशों की चिंता बढ़ती जा रही है। सोमवार को ब्रेंट क्रूड की कीमतें 70 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गईं जो पिछले 3 साल का टॉप लेवल है। पिछले 6 माह की बात करें तो क्रूड में 57 % से ज्यादा की तेजी आ चुकी है। जून में क्रूड 44.48 डॉलर के लेवल पर था। 
              
क्यों बढ़ रही है क्रूड की कीमतें 
 एक्सपर्ट्स के मुताबिक, ओपेक (OPEC) देशों के अलावा रूस में तेल का प्रोडक्शन घटा देने से मार्केट में सप्लाई कमजोर हुई है। वहीं, पिछले कुछ दिनों से यूएसए में भी रिग्स काउंट की संख्‍या घटी है।

इन वजहों से मार्केट में ओवरबॉट की स्थिति बनी है, जिसका असर क्रूड की कीमतों पर दिख रहा है। ऐसे में ब्रेंट क्रूड 70 डॉलर के पार पहुंच गया, वहीं डबल्यूटीआई क्रूड की कीमतें भी 64.53 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गई है।
 
एक्साइज ड्यूटी घटने के बाद क्रूड 17% महंगा
3 अक्टूबर को एक्साइज ड्यूटी में कटौती किए जाने के बाद से क्रूड में लगातार तेजी बनी हुई है। 3 अक्टूबर के बाद से जहां इंटरनेशन मार्केट में क्रूड 27 % महंगा हो चुका है, वहीं इंडियन बास्केट में क्रूड की कीमतें 17 % से ज्यादा बढ़ चुकी हैं। इस रेश्यो (अनुपात) में पेट्रोल-डीजल की कीमतें न बढ़ने से ऑयल मार्केटिंग कंपनियों के मार्जिन पर भी दबाव बना हुआ है।  

बता दें कि अक्टूबर की शुरूआत में महंगे हो रहे पेट्रोल-डीजल को देखते हुए सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर 2 रुपए प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी कम कर दी थी। 3 अक्टूबर को इंटरनेशनल मार्केट में क्रूड 55 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर था जो 15 जनवरी 2018 को 70 डॉलर के लेवल पर पहुंच गया। इंटरनेशन मार्केट में क्रूड की कीमतें अपने 3 साल के टॉप लेवल पर है। 
 
क्या होगा असर?
 1) बढ़ सकता है करंट अकाउंट डेफिसिट 
 क्रूड की कीमतें बढ़ने से देश का करंट अकाउंट डेफिसिट बढ़ सकता है। असल में भारत अपनी जरूरतों का 82 % क्रूड इंपोर्ट करता है। क्रूड की कीमतें लगातार बढ़ने से भारत का इंपोर्ट बिल उसी रेश्‍यो में महंगा होगा, जिससे करंट अकाउंट डेफिसिट की स्थिति बिगड़ेगी। 
 
2) महंगाई बढ़ने की आशंका
 क्रूड की कीमतें बढ़ने से महंगाई बढ़ने का भी डर होता है। इंटरनेशनल मार्केट में क्रूड महंगा होने से इंडियन बास्केट में भी क्रूड महंगा हो जाता है। इससे तेज कंपनियों पर मार्जिन का दबाव भी बढ़ता है।

 तेल कंपनियां क्रूड की कीमतों में होने वाली बढ़ोत्तरी को कंज्यूमर्स पर डाल सकती है। ऐसे में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोत्तरी से महंगाई बढ़ने का भी डर होता है।

हाल ही में फॉरेन ब्रोकरेज हाउस यूबीएस ने रिपोर्ट में कहा था कि अगर क्रूउ की कीमतें 10 % बढ़ती हैं तो सीपीआई इन्फलेशन में 25 बेसिस प्वॉइंट की बढ़ोत्तरी हो सकती है।