नई दिल्ली। करोड़ों के सत्यम कंप्यूटर्स घोटाले में दोषी पाए जाने पर सेबी ने प्राइस वाटरहाउस (PW) पर दो साल तक के लिए लिस्टेड कंपनियों को ऑडिट सेवा देने पर रोक लगा दी है।
दो PW पार्टनर्स पर तीन साल का बैन लगाया गया है। इसके अलावा सेबी ने प्राइस वाटरहाउस और उसके दो चार्टर्ड एकाउंटेंट – एस गोपालकृष्णन व श्रीनिवास तल्लूरी को गैर कानूनी ढंग से कमाए गए 13 करोड़ रुपए लौटाने का आदेश भी दिया है।
यही नहीं इन तीनों को इस रकम पर 12 फीसदी ब्याज भी देना होगा जिसकी गणना 7 जनवरी 2009 से की जाएगी। तीनों को 45 दिनों के भीतर ऐसा करना होगा।
ऑडिटर्स ने गलत किया :आदेश में यह भी कह गया है कि कोई भी लिस्टेड कंपनी या सेबी से रजिस्टर्ड इंटरमिडेरी दो साल के लिए ऐसी किसी ऑडिट फर्म को अपने काम में एंगेज नहीं करेंगी जो प्राइस वाटरहाउस से जुड़ी हों।
इस 108 पेज के आदेश में सेबी के पूर्णकालिक सदस्य जी महालिंगम ने कहा, मैं इस नतीजे पर पहुंचा हूं कि ऑडिटर्स इस बात को साबित करने में नाकाम रहे कि उन्होंने अपना काम उस प्रोफेशनल ईमानदारी के साथ किया, जिसकी जरूरत थी। ऑडिटर्स इस बात से परिचित थे कि उनकी इस नजरअंदाजी आगे चलकर एक बहुत बड़ी धोखाधड़ी बन जाएगी।
54 अरब रुपए की हेराफेरी
इस मामला 2009 का है जब सत्यम कंप्यूटर सर्विसेज के चेयरमैन बी रामलिंगा राजू ने इस बात को स्वीकार किया कि कंपनी के खातों में करीब 54 अरब रुपए की हेराफेरी की गई थी। इस खुलासे के बाद सेबी ने मामले में जांच बैठाई और प्राइस वाटरहाउस व उससे जुड़ी अन्य फर्म को फरवरी 2009 में नोटिस जारी किया।