नई दिल्ली। दुनिया की बड़ी से बड़ी कार कंपनियां और टेक्नॉलजी कंपनीज ड्राइवरलेस कारों पर करोड़ों डॉलर खर्च कर रही हैं। फेमस कार कंपनी निसान ने एक कदम आगे बढ़ाते हुए ऐसी तकनीक पर काम शुरू किया है जिसके दम पर अब कार भी इंसानी दिमाग को पढ़ सकेगी।
सीधे शब्दों में कहें तो वाहनों को दिमाग से डायरेक्ट किया जा सकेगा। अगर निसान का यह प्रयोग सफल रहता है तो तकनीक क्षेत्र में यह अहम कदम साबित हो सकता है। आपने वी2वी यानी वीइकल टु वीइकल तकनीक के बारे में शायद सुना होगा। निसान ने इस तकनीक को बी2वी यानी ब्रेन टु वीइकल टेक्नॉलजी नाम दिया है।
यह एक ऐसा ड्राइविंग सिस्टम है जो कि ड्राइवर के दिमाग से सिग्नल्स लेकर इसी हिसाब से वाहन को आॅपरेट करने में मदद करता है। इससे ड्राइविंग रोचक और मजेदार बन जाती है। इस तकनीक की मदद से स्मार्ट कारों के सपने को बल मिलेगा।
निसान ने अपने एक शोध के बारे में खुलासा किया है जिसकी मदद से ड्राइवर के ब्रेन से निकलने वाली तरंगों को समझा जा सकेगा। इससे यह समझने में भी मदद मिलेगी कि ड्राइविंग के दौरान लोगों का दिमाग कैसे काम करेगा। निसान का दावा है कि ब्रेन-टु-वीइकल तकनीक के इस्तेमाल से कार का रिऐक्शन टाइम कम कर दिया जाएगा। इस स्पेशल तकनीक को निसान सीईएस 2018 में पेश करेगी।
ब्रेन कोडिंग पर बेस्ड निसान अपनी यह खास टेक्नॉलजी का डेमो सीईएस 2018 में देगी। यह टेक समारोह 9-12 जनवरी के बीच अमेरिकी शहर लास वेगास में आयोजित किया जाना है। कंपनी की मानें तो इस तकनीक के अमल में आने में अभी 5 से 10 साल तक का वक्त लग सकता है।
कैसे काम करती है तकनीक?
दरअसल, इस तकनीक के तहत ड्राइवर को एक खास तरह का डिवाइस पहनना होगा। इसे स्कलकैप कह सकते हैं। इसके जरिए ड्राइविंग के दौरान ड्राइवर्स की ऐक्टिविटीज पर नजर रखते हुए उनको होने वाली समस्याओं का पता लगाया जा सकता है। स्टीअरिंग घुमाने से लेकर ब्रेक लगाने, स्पीड घटाने या बढ़ाने तक की ऐक्टिविटीज के बारे में कार को पहले ही पता लग सकेगा।