नाकाम रही कंपोजिशन स्कीम, 1 प्रतिशत GST भी पसंद नहीं

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नई दिल्ली। माइक्रो स्केल मैन्युफैक्चरिंग यूनिटों को जीएसटी के दायरे में लाने की सरकारी कोशिशें नाकाम दिख रही हैं। सरकार ने 1 जनवरी से 20 लाख से 1.5 करोड़ टर्नओवर वाले मैन्युफैक्चरर्स के लिए कंपोजिशन स्कीम के तहत टैक्स रेट 2% से घटाकर 1% कर दिया है, लेकिन यूनिटें स्कीम की कई खामियों का हवाला देकर इससे दूरी बना रही हैं।

इनमें कच्चे माल पर चुकाए गए टैक्स का इनपुट क्रेडिट नहीं मिलने और राज्य के बाहर माल नहीं बेचने की बंदिश शामिल हैं। देश भर में करीब 16 लाख और दिल्ली में 35000 कारोबारी कंपोजिशन स्कीम में रजिस्टर्ड हैं, लेकिन इनमें मैन्युफैक्चरर्स की तादाद 5 पर्सेंट से भी कम है।,

जबकि राज्यों के औद्योगिक विभागों के तहत एमएसएमई के तौर पर बड़ी संख्या में यूनिटें रजिस्टर्ड हैं, जिनका टर्नओवर 1.5 करोड़ से नीचे है। इंडियन एसोसिएशन ऑफ माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज के प्रेजिडेंट राजीव चावला ने बताया, ‘मैन्युफैक्चरर्स के लिए टैक्सेबल रेट से ज्यादा इनपुट टैक्स मायने रखता है।

क्योंकि वह कच्चे माल पर पूरा टैक्स चुकाता है, लेकिन स्कीम के तहत उसे आउटपुट में अजस्ट नहीं कर सकता। इसके अलावा राज्य के बाहर माल सप्लाइ नहीं कर पाने की बंदिश भी उन्हें हतोत्साहित कर रही है।’ उन्होंने बताया कि स्कीम की टर्नओवर लिमिट बहुत छोटी है।

यह अभी तक 1 करोड़ थी, जिसे 1.5 करोड़ किया गया है। अब जब सभी को तिमाही रिटर्न की छूट मिलने की संभावना जताई जा रही है, कम से कम मैन्युफैक्चरर्स के लिए स्कीम में कोई विशेष दिलचस्पी नहीं रह गई है।

दिल्ली फैक्ट्री ओनर्स फेडरेशन के सेक्रेटरी जनरल समीर नायर ने बताया कि सरकार ने कंपोजिशन ट्रेडर्स को सिर्फ टैक्सेबल सप्लाइ पर टैक्स चुकाने की छूट दी है, जबकि मैन्युफैक्चरर्स को इससे वंचित रखा है। बहुत से मैन्युफैक्चरर मल्टीपल प्रॉडक्ट बनाते और सप्लाइ करते हैं।

ट्रेडर्स के लिए स्कीम का आकर्षण बढ़ सकता है, क्योंकि वे टैक्स फ्री आइटमों की सप्लाइ को अब अपने टर्नओवर से घटा सकते हैं। दूसरी ओर छोटे उद्यमी इस बात को लेकर भी आशंकित हैं कि 31 मार्च तक स्थगित रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म की वापसी होते ही कंपोजिशन डीलर्स की सेल-परचेज भी मैच होनी शुरू होगी।

 मिसमैचिंग पर उन्हें दोगुना टैक्स देने की नौबत आ सकती है। उधर, सरकार छानबीन के मोर्चे पर कंपोजिशन डीलर्स पर भी शिकंजा कसने की तैयारी कर रही है, क्योंकि उसे आशंका है कि इस सेग्मेंट से लोग वाजिब कर नहीं चुका रहे। सितंबर तिमाही में कंपोजिशन कारोबारियों से सिर्फ 250 करोड़ टैक्स मिला है।