नई दिल्ली। एक बार में तीन तलाक को क्रिमिनल ऑफेंस के दायरे में लाने के लिए सरकार ने गुरुवार को लोकसभा में बिल पेश कर दिया। बिल का सबसे पहले विरोध करने वालों में असदुद्दीन ओवैसी शामिल थे। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी दलों से इस पर एकजुटता दिखाने की अपील की।
उन्होंने कहा कि यह बिल महिला से भेदभाव खत्म करने, उन्हें सुरक्षा और सम्मान देने के लिए है। इस बिल को ‘द मुस्लिम वुमन प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स ऑन मैरिज’ नाम दिया गया है।
बिल को केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अगुआई में इंटर-मिनिस्टिरियल ग्रुप ने तैयार किया है। इसके तहत ‘तलाक-ए-बिद्दत’ को गैरकानूनी बताया गया है। फिर चाहे वह बोलकर दिया गया हो, ईमेल से दिया गया हो या एसएमएस-वॉट्सऐप से दिया गया हो।
लोकसभा में इस तरह शुरू हुई बहस
– ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के लीडर असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि तीन तलाक के खिलाफ यह बिल संविधान के तहत मिले बुनियादी हक के खिलाफ है। अगर यह बिल पास होता है तो यह मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ नाइंसाफी पैदा करने वाला होगा। बीजद के सांसद भर्तृहरि महताब ने भी बिल का विरोध किया
तलाक-ए-बिद्दत देने पर शौहर को 3 साल की जेल होगी
– बिल के मुताबिक, जुबानी, लिखित या किसी इलेक्ट्रॉनिक तरीके से एकसाथ तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) देना गैरकानूनी और गैर जमानती होगा। तीन तलाक देने वाले पति को तीन साल की सजा के अलावा जुर्माना भी होगा।
– साथ ही इसमें महिला अपने नाबालिग बच्चों की कस्टडी और गुजारा भत्ते का दावा भी कर सकेगी। इतना सख्त कि जमानत भी नहीं मिलेगी
– मसौदे के मुताबिक, एक बार में तीन तलाक या तलाक-ए-बिद्दत किसी भी तौर पर गैरकानूनी ही होगा। जिसमें बोलकर या इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस (यानी वॉट्सएेप, ईमेल, एसएमएस) के जरिये भी एक बार में तीन तलाक देना शामिल है।
– अॉफिशियल्स के मुताबिक, हर्जाना और बच्चों की कस्टडी महिला को देने का प्राॅविजन इसलिए रखा गया है, ताकि महिला को घर छोड़ने के साथ ही कानूनी तौर पर सिक्युरिटी हासिल हो सके। इस मामले में आरोपी को जमानत भी नहीं मिल सकेगी।’
– देश में पिछले एक साल से तीन तलाक के मुद्दे पर छिड़ी बहस और सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद सरकार ने इस बिल का मसौदा तैयार किया। सुप्रीम कोर्ट पहले ही तीन तलाक को बुनियादी हक के खिलाफ और गैरकानूनी बता चुका है।
कांग्रेस को किस बात पर है एतराज?
– कांग्रेस ने तीन तलाक बिल पर कहा है कि सरकार यदि मनमानी करती है और बिल सुप्रीम कोर्ट के डायरेक्शंस के दायरे में नहीं होगा तो वह इसका विरोध करेगी।
– कांग्रेस के स्पोक्सपर्सन अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि अभी जो खबरें आ रही हैं, वे ठीक नहीं हैं। खबरों में कहा जा रहा है कि बिल में कड़े प्राॅविजन्स किए गए हैं, जो अदालत के
निर्देशों के मुताबिक नहीं हैं।
– वहीं, बिल को पास कराने के लिए भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और दूसरी अपोजिशन पार्टीज को लेटर लिखा है।
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का क्या कहना है?
– ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने केंद्र सरकार के तीन तलाक बिल को महिलाओं के हक के खिलाफ बताया है। साथ ही दावा किया कि इससे कई परिवार बर्बाद हो जाएंगे।
-बोर्ड ने कहा कि यह मुस्लिम पुरुषों से तलाक का हक छीनने की बहुत बड़ी साजिश है। बिल को गैर कानूनी बताते हुए बोर्ड ने सरकार से इसे वापस लेने की अपील की है।
– महिला बोर्ड की चेयरपर्सन शाइस्ता अंबर का कहना है कि निकाह एक कॉन्ट्रैक्ट होता है। जो भी इसे तोड़े, उसे सजा मिलनी चाहिए। हालांकि, अगर बिल कुरान और संविधान के मुताबिक नहीं है तो कोई भी मुस्लिम महिला इसे मंजूर नहीं करेगी। सुप्रीम कोर्ट के दो जजों ने कहा था 6 महीने में कानून बने
– 23 अगस्त को 1400 साल पुरानी तीन तलाक की प्रथा पर सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। 5 जजों की बेंच ने 3:2 की मेजॉरिटी से कहा था कि एक साथ तीन तलाक कहने की प्रथा यानी तलाक-ए-बिद्दत वॉइड (शून्य), अनकॉन्स्टिट्यूशनल (असंवैधानिक) और इललीगल (गैरकानूनी) है। बेंच में शामिल दो जजों ने कहा था कि सरकार तीन तलाक पर 6 महीने में कानून बनाए।
किस तलाक को खारिज किया गया, कौन-सा तलाक बरकरार है?
– सुप्रीम कोर्ट ने तलाक-ए-बिद्दत को खारिज कर दिया था, लेकिन सुन्नी मुस्लिमों के पास दो ऑप्शन बरकरार हैं। पहला है तलाक-ए-अहसन और दूसरा है तलाक-ए-हसन।
– तलाक-ए-अहसन के तहत एक मुस्लिम पुरुष अपनी पत्नी को महीने में एक बार तलाक कहता है। अगर 90 दिन में सुलह की कोशिश नाकाम रहती है तो तीन महीने में तीन बार
-तलाक कहकर पति अपनी पत्नी से अलग हो जाता है। इस दौरान पत्नी इद्दत (सेपरेशन का वक्त) गुजारती है। इद्दत का वक्त पहले महीने में तलाक कहने से शुरू हो जाता है।
– तलाक-ए-हसन के तहत पति अपनी पत्नी को मेन्स्ट्रूएशन साइकिल (माहवारी) के दौरान तलाक कहता है। तीन साइकिल में तलाक कहने पर डिवोर्स पूरा हो जाता है।
– सुप्रीम कोर्ट ने सिर्फ एक साथ तीन तलाक कहने (तलाक-ए-बिद्दत) पर रोक लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने तलाक-ए-अहसन और तलाक-ए-हसन में दखल नहीं दिया है।
औरतों के हक के लिए लड़ती रहूंगी- सायरा बानो
– ट्रिपल तलाक को बैन करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका डालने वाली पिटिशनर सायरा बानो ने कहा कि वो आगे भी महिला अधिकारों के लिए लड़ती रहेंगी।
– न्यूज एजेंसी से सायरा ने कहा, “मुझे लगता है ट्रिपल तलाक के बाद पॉलिगैमी (बहुविवाह या एक से ज्यादा शादियां करना) और निकाह हलाला को भी बैन किया जाना चाहिए। महिलाओं को टॉर्चर करने वाली इन परंपराओं पर रोक लगनी चाहिए। सायरा ने कहा, “मैं एक बार फिर बहुविवाह और निकाह हलाला को रोकने के लिए कोर्ट में अपील दायर करूंगी।”