नई दिल्ली। New Income Tax Bill: लोक सभा में प्रस्तुत आयकर विधेयक 2025 कर अधिकारियों को यह अधिकार देता है कि वे सर्वे और जांच के दौरान इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम से एक्सेस कोड मांग सकें। इससे उनके लिए क्रिप्टो और अन्य वर्चुअल डिजिटल परिसंपत्तियों की जांच आसान हो जाएगी।
विधेयक की धारा 247 आय कर अधिकारियों की खोज और जब्ती के अधिकार को व्यापक बनाती है। उसके दायरे को भौतिक परिसंपत्तियों से आगे स्थानीय ऐक्सेस और डिजिटल रिकॉर्ड तथा वर्चुअल दायरे तक बढ़ाती है।
धारा 253 कर अधिकारियों को इजाजत देती है कि वे सर्वे के दौरान ‘ऐक्सेस कोड सहित तकनीकी तथा अन्य सहायता’ मांग सकें। ऐसे में करदाताओं को अनिवार्य तौर पर क्लाउड स्पेस, कंप्यूटर और इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड की जानकारी देनी होगी।
धारा 253 के अनुसार एक आयकर अधिकारी कारोबारियों से ‘जरूरी तकनीकी और अन्य सहायता (ऐक्सेस कोड सहित) मांग सकता है ताकि ऐसे खातों या अन्य दस्तावेज की जांच कर सके। या फिर कंप्यूटर सिस्टम अथवा अन्य वर्चुअल डिजिटल क्षेत्रों की जानकारी भी जरूरत के हिसाब से मांगी जा सकती है।’
वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि ये प्रावधान कर अधिकारियों को सिस्टम के ऐक्सेस कोड मांगने की इजाजत देते हैं लेकिन उन्हें कोई और नया अधिकार नहीं देते। अधिकारी के मुताबिक अब वित्तीय रिकॉर्ड को इलेक्ट्रॉनिक ढंग से रखने का आम चलन हो गया है। ऐसे में एक्सेस कोड जैसी तकनीकी मदद को इसमें शामिल किया गया है।
एक प्रश्न के उत्तर में अधिकारी ने कहा, ‘यह स्पष्ट किया जा चुका है कि प्रस्तावित विधेयक की धारा 247 और 253 के संबद्ध प्रावधानों ने अधिकारियों के अधिकारों का विस्तार नहीं किया है। बहरहाल, खातों और अन्य वित्तीय रिकॉर्ड को इलेक्ट्रॉनिक ढंग से रखने के चलन को देखते हुए इसके लिए एक्सेस कोड सहित अन्य तकनीकी सहायता माध्यमों को शामिल किया गया है।’
इससे पहले आय कर अधिनियम, 1961 की धारा 132 के तहत तलाशी की इजाजत थी और इसमें भौतिक तथा डिजिटल दस्तावेज, नकदी तथा परिसंपत्तियों का प्रावधान था। धारा 133(6) के तहत सूचना मांगी जा सकती थी और 133ए के तहत सर्वे करने वाले अधिकारी सूचनाएं चाह सकते थे लेकिन इनमें डिजिटल पहुंच शामिल नहीं थी। नया विधेयक डिजिटल डेटा तक पहुंच अनिवार्य बनाता है। विशेषज्ञों के अनुसार इससे प्रवर्तन क्षमता बढ़ेगी।
बॉम्बे चार्टर्ड अकाउंटेंट्स सोसायटी के प्रेसिडेंट आनंद बाठिया के अनुसार, ‘आधुनिक कारोबार और करदाता इलेक्ट्रॉनिक तरीके से खातों का और दूसरा रिकॉर्ड रखते हैं। इस हकीकत को देखते हुए यह जरूरी था कि कर अधिकारियों के पास ऐसे रिकॉर्ड तक पहुंच का कानूनी आधार हो। मौजूदा अधिनियम के तहत भी यह अधिकार है लेकिन 2025 का प्रस्ताव इसे कानूनी आधार देता है। किप्टो तथा दूसरी वर्चुअल डिजिटल परिसंपत्तियों का इस्तेमाल करके कर वंचना के उदाहरणों को देखते हुए कर प्रवर्तन एजेंसियों के लिए ऐसे अधिकार जरूरी हैं।’
टैक्स कनेक्ट एडवाइजरी सर्विसेज के साझेदार विवेक जालान के अनुसार मौजूदा आय कर अधिनियम की धारा 133ए के तहत ऐसे खाते, डेटा आदि सर्वे करने आए अधिकारी को मुहैया कराने की बात है जबकि नया प्रावधान 253 अधिकारियों के दायरे को ‘ऐक्सेस कोड’ हासिल करने तक बढ़ाता है। इसका मतलब यह हुआ कि अधिकारी को आईडी, पासवर्ड आदि भी देना होगा ताकि वह ऐसे खातों या दस्तावेजों की जांच कर सके।