इनकम टैक्स बिल लोक सभा में पेश, जानिए, क्या हुए हैं बदलाव

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नई दिल्ली। New Income Tax Bill 2025: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नए इनकम टैक्स बिल को लोकसभा में पेश कर दिया है। बीते सप्ताह केंद्र सरकार की कैबिनेट की मंजूरी के बाद गुरुवार को निर्मला सीतारमण ने नए बिल को पेश किया।

लोकसभा में हंगामे के बीच वित्त मंत्री ने बिल को सदन के पटल पर रखा। अब इस बिल को आगे के विचार-विमर्श के लिए संसदीय स्थायी समिति के पास भेजा जाएगा। नया इनकम टैक्स बिल एक अप्रैल, 2026 से लागू होने की उम्मीद है।

नए बिल में 536 धाराएं
नए बिल में 536 धाराएं, 23 अध्याय और 16 अनुसूचियां हैं। यह सिर्फ 622 पृष्ठों पर अंकित है। इसमें कोई नया कर लगाने की बात नहीं की गई है। यह बिल मौजूदा आयकर अधिनियम, 1961 की भाषा को सरल बनाता है। बता दें कि छह दशक पुराने मौजूदा कानून में 298 धाराएं और 14 अनुसूचियां हैं। जब यह अधिनियम पेश किया गया था, तब इसमें 880 पृष्ठ थे।

क्या हुए हैं बदलाव
नए बिल में फ्रिंज बेनेफिट टैक्स से संबंधित अनावश्यक धाराओं को हटा दिया गया है। विधेयक के ‘स्पष्टीकरण या प्रावधानों’ से मुक्त होने की वजह से इसे पढ़ना और समझना आसान हो जाता है। इसके साथ ही आयकर अधिनियम, 1961 में कई बार इस्तेमाल किए जाने वाले शब्द ‘बावजूद’ को नए विधेयक में हटा दिया गया है और उसकी जगह पर लगभग हर जगह ‘अपरिहार्य’ शब्द का इस्तेमाल किया गया है।

1. आयकर से जुड़े विवादों से निजात
नए आयकर बिल की सरल भाषा से आयकर से जुड़े विवादों को कम करने में मदद करेगी। इससे  करदाताओं और कर विभाग दोनों को समान रूप से लाभ होगा।  बिल में इस्तेमाल की गई भाषा मौजूदा अधिनियमों की तुलना में सरल है, जिसे समझना कभी-कभी मुश्किल हो जाता है और कभी-कभी एक ही चीज की अलग-अलग व्याख्याएं होने लगती है। नए कानून में अमल में आने के बाद इससे बहुत हद तक निजात मिलेगी।

2. वर्तमान कानून की तुलना में संक्षिप्त व सरल
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से लोकसभा में पेश किया गया यह नया विधेयक ऐसे बदलाव लाने का प्रयास है जो व्यक्तियों, व्यवसायों और गैर-लाभकारी संगठनों सहित करदाताओं की विभिन्न श्रेणियों को प्रभावित करते हैं। नए आयकर विधेयक को सरसरी तौर पर पढ़ने के बाद मुझे लगता है कि इसके जरिए मौजूदा आयकर अधिनियम को चुस्त-दुरुस्त किया गया है। इसमें करों से जुड़ा कोई बड़ा बदलाव नहीं किया जा रहा है। नया आयकर विधेयक 622 पन्नों का है, जबकि वर्तमान आयकर अधिनियम में सभी संशोधनों के साथ 1647 पृष्ठ हैं। नए विधेयक में 298 मौजूदा धाराओं के मुकाबले 536 धाराएं हैं। नए विधेयक का उद्देश्य धाराओं की संख्या में 25-30 प्रतिशत की कमी करना है, जिससे कर संहिता अधिक सरल और उपयोगकर्ता के अनुकूल बन जाएगी। 

3. कर निर्धारण वर्ष की जगह कर वर्ष
नए आयकर विधेयक में कर निर्धारण वर्ष, पिछले वर्ष और वित्तीय वर्ष की अवधारणा को समाप्त कर केवल ‘कर वर्ष’ की बात कही गई है। आमतौर पर लोग AY, PY और FY को लेकर उलझन में रहते हैं, ऐसे में नया कानून अमल में आने से उन्हें इस दुविधा से निजात मिलेगी। उदाहरण के लिए 1 अप्रैल 2025 से 31 मार्च 2026 तक को कर वर्ष 2025-26 कहा जाएगा। मतलब वित्तीय वर्ष के पूरे 12 महीने को अब सिर्फ कर वर्ष कहा जाएगा। कुल आय के दायरे के संदर्भ में, नया विधेयक मौजूदा कर सिद्धांतों को बनाए रखते हुए कुछ स्पष्टीकरण करता है। पिछले कानून के तहत, आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 5 और 9 में कहा गया था कि भारतीय निवासियों पर उनकी वैश्विक आय पर कर लगाया जाता था, जबकि गैर-निवासियों पर केवल भारत में अर्जित आय पर कर लगाया जाता था।

4. आयकर स्लैब में संशोधन
नए आयकर विधेयक में बजट 2025-26 में की गई घोषणा के अनुसार 12 लाख रुपये तक की आय अब कर से मुक्त करने की बात कही गई है। 75,000 रुपये की मानक कटौती के साथ वेतनभोगी करदाताओं के लिए 12 लाख 75 हजार तक की आमदनी कर-मुक्त जाएगी। संशोधित कर स्लैब और छूट की सीमा बढ़ने से मध्यम वर्ग को राहत मिलने की उम्मीद है। संभावित रूप से नया आयकर कानून अमल में आने के बाद उपभोक्ता खर्च और बचत को बढ़ावा मिलेगा। इससे पहले, आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 10 और 80सी से 80यू के तहत निवेश, दान और विशिष्ट व्यय में कटौती की अनुमति थी।

5. अपडेटेड आयकर रिटर्न दाखिल करने की समय सीमा
नए आयकर विधेयक में अपडेटेड रिटर्न दाखिल करने की समय-सीमा दो साल से बढ़ाकर चार साल करने का प्रस्ताव है। इससे करदाताओं को किसी भी चूक या त्रुटि को सुधारने के लिए अतिरिक्त समय मिल जाता है। सरकार का मानना है कि इन बदलावों से कर अनुपालन आसान हो जाएगा और सभी श्रेणियों के करदाताओं के लिए निष्पक्ष कर संरचना सुनिश्चित होगी।

6. आभासी डिजिटल परिसंपत्तियों से जुड़े प्रावधान
नया आयकर विधेयक, धारा 67 से 91 में, आभासी डिजिटल परिसंपत्तियों के लिए स्पष्ट प्रावधान की बात कही गई है। नया विधयेक यह सुनिश्चित करता है कि क्रिप्टोकरेंसी जैसी डिजिटल परिसंपत्तियां उचित कर ढांचे के अंतर्गत आती हैं। यह “आभासी डिजिटल परिसंपत्ति” और “इलेक्ट्रॉनिक मोड” को भी परिभाषित करता है, जो आज के वित्तीय परिदृश्य में डिजिटल लेनदेन और क्रिप्टोकरेंसी के बढ़ते महत्व को दर्शाता है।

7. गैर-लाभकारी संगठनों के लिए अधिक विस्तृत प्रावधान
गैर-लाभकारी संगठनों के लिए, धारा 11 से 13 के तहत पिछले कानून में कुछ धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए आयकर छूट प्रदान की गई थी, लेकिन इसमें अनुपालन संबंधी सीमित दिशा-निर्देश थे। नया विधेयक, धारा 332 से 355 में, अधिक विस्तृत रूपरेखा स्थापित करता है, जिसमें कर योग्य आय, अनुपालन नियम और वाणिज्यिक गतिविधियों पर प्रतिबंधों को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है। यह एक सख्त अनुपालन व्यवस्था पेश करता है

8. स्टार्टअप और डिजिटल व्यवसायों के लिए कर छूट का प्रस्ताव
नया विधेयक, धारा 11 से 154 के अंतर्गत, स्टार्टअप, डिजिटल व्यवसायों और नवीकरणीय ऊर्जा निवेशों का समर्थन करने के लिए कटौती के नए प्रावधान प्रस्तुत करता है। पूंजीगत लाभ कर शब्द में भी परिवर्तन का प्रस्ताव है। हालांकि पूंजीगत लाभ की दरों में किसी परिवर्तन की बात नहीं गई है। पिछले कानून के अंतर्गत, धारा 45 से 55A ने प्रतिभूतियों के लिए विशेष कर दरों के साथ, होल्डिंग अवधि के आधार पर पूंजीगत लाभ को अल्पकालिक और दीर्घकालिक में वर्गीकृत किया था।

9. आयकर की दरों और स्टैंडर्ड डिडक्शन में बदलाव नहीं
नए आयकर बिल में स्टैंडर्ड डिडक्शन में किसी बदलाव की बात नहीं की गई है। ऐसे में नए कानून में ही यदि आप नौकरीपेशा हैं तो पुरानी रिजीम के तहत आपको 50,000 रुपये के स्टैंडर्ड डिडक्शन का ही लाभ मिलेगा। वहीं अगर आप नई टैक्स रिजीम का विकल्प चुनते हैं तो आपको स्टैंडर्ड डिडक्शन के तहत 75,000 रुपये तक छूट का लाभ मिलेगा। नए कानून के तहत टैक्स की दरों में भी कोई बदलाव नहीं होगा।

10. सीबीडीटी का अधिकार बढ़ा
नए आयकर विधेयक में सीबीडीटी के अधिकारों में भी बदलाव की बात कही गई है बिल के मुताबिक, पहले आयकर विभाग को टैक्स से जुड़ी योजनाएं शुरू करने के लिए संसद से संपर्क करना होता था, लेकिन न्यू टैक्स एक्ट 2025 के मुताबिक, अब सीबीडीटी स्वतंत्र रूप से ऐसी योजनाएं शुरू कर सकेगी। इसका मकसद नौकरशाही में होने वाली देरी को खत्म करना है।

11. पेंशन, बीमा और एनपीएस से जुड़े बदलाव 
नए आयकर विधेयक में पेंशन, एनपीएस योगदान और बीमा पर करों में छूट जारी रखने का प्रस्ताव है। रिटायरमेंट फंड, ग्रेचयुटी और पीएफ में योगदान को भी आयकर छूट के दायरे में रखने की बात कही गई है। ईएलएसएस म्यूचुअल फंड में निवेश पर भी कर में छूट की बात कही गई है। 

12. कृषि से आमदनी पर छूट और ई-केवाईसी अनिवार्य
नए आयकर बिल में सरकार ने कृषि से होने वाली आमदनी को कुछ शर्तों के साथ कर मुक्त रखने का प्रस्ताव किया है। इसके अलावे दान में दी गई राशि पर भी छूट मिलनी जारी रहेगी। इलेक्टोरल ट्रस्ट को भी टैक्स छूट देने की बात कही गई है। इसके अलावे मौजूदा आयकर प्रणाली को अधिक पारदर्शी और आधुनिक बनाने के लिए ई-केवाईसी और ऑनलाइन कर भुगतान को अनिवार्य करने का प्रस्ताव है।