नई दिल्ली। GI recognized rice: केन्द्रीय वित्त मंत्री ने औद्योगिक संकेतक (जीआई) से मान्यता प्राप्त चावल के निर्यात की अनुमति देने के लिए एक नया हार्मोनाइज्ड सिस्टम (एच एस) कोड प्रदान करने हेतु कस्टम टैरिफ एक्ट में संशोधन कर दिया है।
व्यापार विश्लेषकों के अनुसार दुनिया में यह पहला अवसर है जब भी जी आई द्वारा मान्यता प्राप्त चावल के लिए कोई एच एस कोड प्रचलित किया गया है। वित्त वर्ष 2025-26 के लिए 1 फरवरी को जब लोकसभा में बजट प्रस्तुत किया गया तब उसमें इन संशोधनों का भी जिक्र शामिल था।
एच एस कोड 1006-30-11 (सेला चावल) तथा 1006-30-91 (सफेद चावल) के अंतर्गत कोड को संशोधित किया गया। इससे यह फायदा हो सकता है कि यदि अन्य किस्मों के चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने की नौबत आती है तब भी इस नए एच एस कोड वाले चावल का शिपमेंट जारी रखा जा सकेगा।
उल्लेखनीय है कि भारतीय पेटेंट कार्यालय में चावल की 20 किस्मों के जीआई टैग प्रदान किया है जिसमें नवारा, पालाक्कदन, मट्टा, पोक्क्ली, वायनाड, जीराकसाला, वायनाड गंधकसाला, कालानमक, काईपाड, अजारा, धनसाल, अम्बेमोहर, जोहा, गोविंदभोग, कतरनी, तुलापंजी तथा चौकुवा किस्म का चावल सम्मिलित है। इन सभी किस्मों के चावल को मार्च 2020 से पहले ही जी आई टैग हासिल हो चुका था।
इसके अलावा भदारा चिन्नूर, मश्कबुदजी, माठचा, खावताई (खामती), उत्तराखंड के लाल चावल, क्लोनुनिया तथा कोरापुट काला जीरा किस्म के चावल को अप्रैल 2023 से मार्च 2024 के बीच जीआई टैग प्रदान किया गया
जबकि अंडमान के करेन मुसली किस्म के चावल को चालू वित्त वर्ष के दौरान भौगोलिक संकेतक का दर्जा (जीआई टैग) प्राप्त हुआ है। चावल की करीब 20 अन्य किस्मों के लिए जी आई टैग का मामला अभी लंबित है।