नई दिल्ली। Budget 2025: केंद्रीय सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम मंत्रालय ने आगामी वित्त वर्ष के बजट में प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत शिशु और किशोर श्रेणियों में ऋण सीमा बढ़ाने की सिफारिश की है। केंद्रीय बजट 1 फरवरी को संसद में पेश किया जाएगा।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने पहचान जाहिर नहीं करने की शर्त पर बताया कि वित्त मंत्रालय को भेजे गए प्रस्ताव में शिशु श्रेणी के तहत कर्ज सीमा बढ़ाकर 5 लाख रुपये और किशोर श्रेणी में 10 लाख रुपये करने का सुझाव दिया गया है।
अधिकारी ने कहा, ‘ मंत्रालय ने कई सिफारिशें की हैं। इनमें मुद्रा ऋण की श्रेणियों के तहत कर्ज की सीमा बढ़ाना भी शामिल है। मगर इस संबंध में अंतिम निर्णय वित्त मंत्रालय द्वारा लिया जाएगा।’ फिलहाल मुद्रा योजना के तहत तीन श्रेणियों शिशु, किशोर और तरुण में कर्ज दिया जाता है।
शिशु श्रेणी के अंतर्गत 50,000 रुपये तक, किशोर श्रेणी में 50,001 रुपये से 5 लाख रुपये तक और तरुण श्रेणी के तहत 5,00,001 रुपये से 10 लाख रुपये तक के कर्ज दिए जाते हैं। वित्त वर्ष 2025 के केंद्रीय बजट में तरुण श्रेणी के तहत मिले कर्ज की अदायगी करने वालों को नया कर्ज देने के लिए तरुण प्लस श्रेणी बनाई गई थी और इसके तहत 20 लाख रुपये तक का कर्ज देने का प्रावधान किया गया था।
बढ़े हुए ऋण के लिए क्रेडिट गारंटी फंड फॉर माइक्रो यूनिट्स (सीजीएफएमयू) से मिलेगी। यह भारत में उद्यमशीलता के परिवेश को बढ़ावा देने के सरकार के संकल्प को दर्शाता है। मुद्रा योजना के तहत 17 जनवरी, 2025 तक स्वीकृत ऋणों की कुल संख्या 3.7 करोड़ और स्वीकृत रकम 3.66 लाख करोड़ रुपये थी।
हालांकि क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के साथ-साथ उनके प्रायोजक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने अक्टूबर के अंत तक मुद्रा योजना के तहत कर्ज वितरण लक्ष्य का 42 फीसदी ही हासिल किया था। बिज़नेस स्टैंडर्ड द्वारा देखे गए आंतरिक दस्तावेज के अनुसार बैंकों ने वित्त वर्ष 2025 के लिए 2.3 लाख करोड़ रुपये के लक्ष्य के मुकाबले 25 अक्टूबर, 2024 तक महज 97,094 करोड़ रुपये ही वितरित किए हैं। सरकारी बैंकों के बीच बैंक ऑफ बड़ौदा का प्रदर्शन सबसे खराब रहा। उसने वित्त वर्ष 2025 के पहले सात महीनों के दौरान वार्षिक ऋण वितरण लक्ष्य का महज 16 फीसदी ही हासिल किया है।
उसने 22,000 करोड़ रुपये के वार्षिक लक्ष्य की तुलना में 25 अक्टूबर तक महज 3,515 करोड़ रुपये ही वितरित किए हैं। भारतीय स्टेट बैंक ने इस योजना के तहत 26,420 करोड़ रुपये वितरित किए जो 60,000 करोड़ रुपये के वार्षिक लक्ष्य का 44 फीसदी है। केनरा बैंक ने अपने वार्षिक लक्ष्य का 52 फीसदी पूरा किया है जबकि यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने 57 फीसदी लक्ष्य को पूरा करते हुए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में सबसे बेहतर प्रदर्शन किया है।
पूर्व वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने कहा, ‘ये सभी माइक्रोफाइनैंस ऋण हैं। माइक्रोफाइनैंस क्षेत्र को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। कई संस्थानों ने फंसे कर्ज (एनपीए) बढ़ने और मुनाफे में भारी गिरावट के बारे में बताया है। कुछ सूक्ष्म वित्त संस्थानों को आरबीआई ने नई जमा स्वीकार करने और ऋण आवंटित करने से रोक दिया है। इसकी वजह से भी कर्ज आवंटन में सुस्ती दिखी है।’
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अगस्त 2024 में लोक सभा में एक सवाल के जवाब में कहा था कि मुद्रा ऋण श्रेणी से जुड़े सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का एनपीए वित्त वर्ष 2023-24 में घटकर 3.4 फीसदी रह गया। उन्होंने कहा था कि यह आंकड़ा 2020-21 में 4.77 फीसदी, 2019-20 में 4.89 फीसदी और 2018-19 में 3.76 फीसदी के मुकाबले सुधार को दर्शाता है। सीतारमण ने यह भी कहा था कि निजी क्षेत्र के वाणिज्यिक बैंकों में मुद्रा ऋण का एनपीए 2023-24 में घटकर 0.95 फीसदी रह गया जो 2020-21 में 1.77 फीसदी और 2018-19 में 0.67 फीसदी रहा था।