आईओसी और बीपीसीएल गेल को खरीदने की इच्छुक

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नई दिल्ली। इंडियन ऑइल कॉर्पोरेशन (आईओसी) और भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) दोनों गेल को खरीदना चाहती हैं ताकि वे फुली इंटीग्रेटेड एनर्जी कंपनी बन सकें। दोनों कंपनियों ने पेट्रोलियम मिनिस्ट्री को अलग-अलग रेप्रजेंटेशन में गेल में अपनी दिलचस्पी का संकेत दिया है। गेल के पास नैचरल गैस ट्रांसपोर्टेशन और मार्केटिंग बिजनस है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि इस वजह से बीपीसीएल और आईओसी इसे एक्वायर करने में इंट्रेस्ट ले रही हैं।

हालांकि, गेल का मानना है कि अगर उसका मर्जर ऑइल और गैस उत्पादन कंपनी ओएनजीसी के साथ होता है तो यह उसके लिए कहीं अच्छा होगा। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2017-18 के बजट भाषण में कहा था कि सरकार ऑइल सेक्टर की कंपनियों का मर्जर करके बड़ी कंपनियां बनाना चाहती है।

उन्होंने कहा था कि ये कंपनियां अंतरराष्ट्रीय और प्राइवेट सेक्टर की भारतीय कंपनियों के परफॉर्मेंस को मैच कर पाएंगी। ओएनजीसी देश की सबसे बड़ी ऑइल और गैस प्रड्यूसर है। उसने ऑयल रिफाइनिंग और मार्केटिंग कंपनी एचपीसीएल को खरीदने का प्रस्ताव रखा है, जिसे कैबिनेट की मंजूरी भी मिल चुकी है।

वह अभी एचपीसीएल में सरकार की 51.11 पर्सेंट हिस्सेदारी खरीदने की प्रक्रिया से गुजर रही है। एचपीसीएल के मौजूदा वैल्यूएशन पर यह सौदा 33,000 करोड़ रुपये का होगा। सूत्रों ने बताया कि आईओसी और बीपीसीएल को इंटीग्रेशन के लिए अलग ऑप्शन दिए गए हैं।

गेल में सरकार की हिस्सेदारी 54.89 पर्सेंट है, जिसकी वैल्यू 46,700 करोड़ रुपये है। सूत्रों ने बताया कि ओएनजीसी-एचपीसीएल का मर्जर पूरा होने के बाद दूसरे कंपनियों के इंटीग्रेशन ऑप्शन पर विचार किया जाएगा। आईओसी देश की सबसे बड़ी ऑयल रिफाइनिंग और फ्यूल मार्केटिंग कंपनी है।

वह या तो किसी रिफाइनिंग कंपनी या गेल जैसी गैस कंपनी को खरीदना चाहती है। उसका मानना है कि अभी कंपनी को एलएनजी टर्मिनल बना रही है, उसके पास सिटी गैस डिस्ट्रीब्यूशन प्रॉजेक्ट्स और गैस मार्केटिंग बिजनस है।

वहीं, गेल देश की सबसे बड़ी गैस ट्रांसपोर्टर है। ऐसे में अगर वह गेल को खरीदती है तो यह उसके लिए फायदेमंद होगा। दूसरी तरफ, बीपीसीएल भी नैचरल गैस बिजनस बढ़ाना चाहती है। उसने ऑइल मिनिस्ट्री को लिखा है कि ऐक्विजिशन के लिए उसकी पहली पसंद गेल है। उसने ऑइल इंडिया लिमिटेड (ऑयल) को नंबर दो चॉइस बताया है।

ऑयल देश की दूसरी सबसे बड़ी एक्सप्लोरेशन कंपनी है। सरकार के पास ऑयल में 66.13 पर्सेंट हिस्सेदारी है। मौजूदा वैल्यूएशन पर इसकी वैल्यू 18,000 करोड़ रुपये है। उधर, गेल को लगता है कि ओएनजीसी के साथ मर्जर उसके लिए अधिक फायदेमंद होगा। सूत्रों ने बताया कि दूसरी सरकारी कंपनियों ने जो प्रस्ताव भेजे हैं, उनके बारे में सरकार ने कोई फैसला नहीं किया है।