कोटा। श्रावणी तीज मेला महोत्सव आयोजन समिति के तत्वावधान में बुधवार से स्टेशन स्थित हाट रोड पर तीज मेला आयोजित किया जाएगा। इससे पहले शाम 7.30 बजे से कोटा जंक्शन स्थित उमरावमल पुरोहित सभागार से भव्य शोभायात्रा के साथ पारम्परिक श्रावणी तीज माता की सवारी निकलेगी।
श्रावणी तीज की पूर्व संध्या पर मंगलवार को कोटा जंक्शन स्थित भरावा सदन पर विधिवत पूजा अर्चना के साथ श्रावणी तीज माता की प्रतिमा को स्थापित किया गया। आयोजन समिति के अध्यक्ष बसंत भरावा तथा संयोजक श्याम भरावा ने बताया कि उमरावमल पुरोहित सभागार में लोक कलाकारों द्वारा रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत होंगे।
इस दौरान मुख्य अतिथि लोकसभा स्पीकर ओम बिरला होंगे। वहीं पूर्व महापौर सुमन श्रृंगी अध्यक्षता करेंगी।विशिष्ट अतिथि पंकज मेहता, पूर्व उप महापौर राकेश सोरल, राष्ट्रीय मेला दशहरा अध्यक्ष विवेक राजवंशी, आशा चतुर्वेदी, हेमंत विजय, रमेश चतुर्वेदी, पार्षद श्रीमती उषा ठाकुर, निशा गौतम होंगे।
शोभायात्रा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम संयोजक राजाराम जैन कर्मयोगी ने बताया कि अतिथियों द्वारा तीज माता का विधिवत् पूजन कर शोभायात्रा को शुभारंभ किया जाएगा। जो शीतला माता चौक, रानी जी की धर्मशाला होते हुए भीमगंज मंडी थाने के सामने से नर्बदेश्वर महादेव मंदिर पहुंचेगी। जहां पर तीज माता की महाआरती की जाएगी।
इसके पश्चात रात्रि 9 बजे तक शोभायात्रा का भरावा सदन पर पहुंच कर विश्राम होगा। उन्होंने बताया कि शोभायात्रा में ख्याति प्राप्त जैमिनी बैंड की मधुर स्वर लहरिया गूंजेगी। शोभायात्रा मार्ग में विभिन्न अंचलों से आए लोक कलाकारों द्वारा अलगोजा, कच्ची घोड़ी सहित विभिन्न प्रस्तुतियां प्रमुख आकर्षण का केंद्र रहेगी।
विभिन्न व्यापार संघ एवं सामाजिक संस्थाओं द्वारा तोरण द्वार लगाकर पुष्पवर्षा कर स्वागत किया जाएगा। विशेष पुष्पों से सुसज्जित घोड़ा बग्गी में 16 श्रृंगार से सुसज्जित तीज माता की शोभायात्रा मार्ग में क्षेत्रीय व्यापारियों एवं महिलाओं द्वारा जगह-जगह पूजा अर्चना की जाएगी।
उन्होंने बताया कि श्रावणी तीज मेला संस्थापक स्व. नंदकिशोर भरावा भंवरलाल भरावा द्वारा 1968 में स्थापित इस मेले का 57वां वर्ष होने पर आयोजन समिति द्वारा शोभायात्रा मार्ग में 57 किलो घेवर का प्रसाद वितरित किया जाएगा।
शोभायात्रा के साथ स्टेशन हॉट बाजार में लगने वाला 11 दिवसीय मेले का भी शुभारंभ हो जाएगा। मेले में 11 दिनों तक विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। कार्यक्रमों का संचालन एंकर नरेश कारा द्वारा किया जाएगा। मेले में दूरदराज से व्यापारी पहुंच चुके हैं। मेले में चकरी, झूले, खिलौने की दुकानें, चाट पकौड़े की स्टाल लगना शुरु हो गए हैं।
श्रावणी तीज का महत्व
कर्मयोगी ने बताया राजस्थान में एक बड़ी ही प्यारी कहावत प्रचलित है, “तीज तिवारां बावड़ी, ले डूबी गणगौर,,, यानी श्रावणी तीज से आरंभ पर्वों की यह सुमधुर श्रृंखला गणगौर के विसर्जन तक चलने वाली है। सारे बड़े त्यौहार तीज के बाद ही आते हैं। रक्षाबंधन, जन्माष्टमी, श्राद्ध पर्व, नवरात्रि, दशहरा, दीपावली का महापर्व आदि रंगीला राजस्थान हमेशा से त्यौहार रंग-बिरंगे परिधान उत्सव और लोकगीत व रीति रिवाज के लिए प्रसिद्ध हैं।
तीज के एक दिन पहले द्वितीया तिथि को विवाहित स्त्रियों के माता-पिता पीहर पक्ष अपनी पुत्री के घर ससुराल सिंजारा भेजते हैं। जबकि कुछ लोग ससुराल से मायके भेजी बहु को सिंजारा भेजते हैं। विवाहित पुत्री के लिए भेजे गए उपहार को सिंजारा कहते हैं। जो कि स्त्री के सुहाग का प्रतीक होता है। इसमें बिंदी, मेहंदी, सिंदूर, चूड़ी, घेवर, लहरिया की साड़ी, यह सब वस्तुएं सिंजारे के रूप में भेजी जाती है।
सिंजारे के इन उपहार को पीहर से लेकर विवाहित स्त्री उन सब उपहार से खुद को सजाती है। मेहंदी लगाती है, तरह-तरह के गहने पहनती है, लहरिया साड़ी पहनती है। तीज के पर्व का अपने पति और ससुराल वालों के साथ खूब आनंद मनाती है।