अमृत काल में दीदी ड्रोन और जहाज ही नहीं उड़ाएंगी, देश भी चलाएंगी: स्पीकर बिरला

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लोकसभा अध्यक्ष ने किया स्वयं सहायता समूह की महिलाओं से संवाद

कोटा। देश की नारी अब घूंघट और घर की चार दीवारी में ही कैद होकर नहीं रहेगी। वे आत्मनिर्भर बनेंगी, उनके पास पक्का मकान, पेयजल, बिजली और गैस भी होगा। अमृत काल में दीदी ड्रोन और जहाज ही नहीं उड़ाएंगी, देश भी चलाएंगी। लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने शुक्रवार को इटावा और खातौली में आयोजित ‘‘टिफिन विद दीदी‘‘ कार्यक्रम में स्वयं सहायता समूह की महिलाओं से संवाद के दौरान यह बात कही।

ओम बिरला ने कहा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लक्ष्य है कि हर दीदी लखपति बने। इसके लिए हम वे सभी प्रयास करेंगे जो आवश्यक हैं। इटावा, खातौली क्षेत्र कृषि पर निर्भर है। कृषि क्षेत्र में आज असीम संभावनाएं हैं, हम स्थानीय स्तर पर कृषि क्षेत्र में रोजगार के अवसर सृजित करेंगे।

उन्होंने कहा कि महिलाओं में उद्यमिता के विकास के लिए उन्हें संसाधन से लेकर उत्पाद की मार्केटिंग तक में सहयोग किया जाएगा। हमारा प्रयास रहेगा कि महिलाओं को सस्ती दर पर कच्चा माल मिले तथा उससे बने उत्पाद की पैकेजिंग और मार्केटिंग बड़ी कम्पनियां करें। इससे महिलाओं को आर्थिक संबल मिलेगा और वे अपने परिवार की भी मदद कर पाएंगी।

दीदियां लाएंगी नई समृद्धि: लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि एक दिन इन दीदियों के बल पर क्षेत्र में आर्थिक समृद्धि और खुशहाली आएगी। इन बहनों को अब नरेगा में खड्डे खोदने के लिए मजबूर नहीं होना पड़ेगा। जब वे सक्षम होंगी तो दो परिवारों का भला होगा।

पंचायत स्तर पर खोलेंगे प्रशिक्षण केंद्र: लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि हमारा प्रयास होगा कि हर पंचायत स्तर पर प्रशिक्षण केंद्र बनाया जाए। इसकी शुरुआत इटावा से होगी। भवन निर्माण के लिए जमीन मिल गई है, 20 लाख रूपए की लागत से भवन निर्माण कार्य जल्द प्रारंभ होगा।

नमकीन बनाने का काम शुरू किया: पीपल्दा की सुनीता शर्मा ने बताया कि पहले घर की ही जिम्मेदारियां संभालती थी, लेकिन मन में इच्छा था कि स्वयं का व्यापार हो। स्वयं सहायता समूह से जुड़कर पचास हजार का ऋण लिया। इस पैसे से नमकीन बनाने का काम शुरू किया। धीरे-धीरे बिक्री बढ़ती गई, अब हर मा 25 हजार रुपए तक की आय हो जाती है।

आटा चक्की खरीदी: संजू रावल ने बताया कि गृहिणी होने के कारण अधिकांश समय पारिवारिक जिम्मेदारियों में बीतता था, बच्चों के लालन-पालन तक ही सिमट कर रह गई। एक दिन स्वयं सहायता समूह से जुड़ने का मौका मिला और ऋण लेकर आटा चक्की खरीदी। थोड़ी-थोड़ी बचत की, फिर से ऋण लिया और कार खरीद ली, जिसे टैक्सी के तौर पर उपयोग कर रहे हैं। हर माह 22 हजार रुपए की आय हो जाती है।

दूध बेचने का काम प्रारंभ किया: सुरेश कुमारी ने बताया कि स्वयं सहायता समूह बनाकर दूध बेचने का काम प्रारंभ किया, कुछ समय बाद उज्ज्वला डेयरी प्रारंभ हुई तो उससे जुड़ गए। पहले 5 लीटर दूध बेचते थे, अब सौ लीटर तक पहुंच गए हैं। स्वयं सहायता समूह से पहले से अधिक महिलाएं भी जुड़ चुकी हैं।