नई दिल्ली। GDP Growth: भारतीय रिजर्व बैंक का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 8 फीसदी रह सकती है, जो राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के अनुमान से अधिक होगी। एनएसओ ने अपने दूसरे अनुमान में चालू वित्त वर्ष में देश की अर्थव्यवस्था 7.6 फीसदी की दर से बढ़ने की संभावना जताई है।
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने एक साक्षात्कार में कहा, ‘उच्च आवृत्ति वाले संकेतक और आर्थिक गतिविधि की रफ्तार देखते हुए हमें लगता है कि चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में वृद्धि दर 5.9 फीसदी से अधिक रह सकती है और जब ऐसी वृद्धि होगी तो पूरे साल के लिए वृद्धि दर का आंकड़ा 7.6 फीसदी से अधिक होगा। चालू वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर के 8 फीसदी के करीब रहने की पूरी संभावना है।’
मगर अगले वित्त वर्ष के लिए दास 7 फीसदी वृद्धि के अपने अनुमान पर कायम हैं, जो उन्होंने फरवरी में मौद्रिक नीति समीक्षा के दौरान जताया था। उन्होंने कहा, ‘अगले वित्त वर्ष से हमें काफी उम्मीद हैं और अपने आंतरिक विश्लेषण और शोध के आधार पर मैं पूरे भरोसे के साथ कहता हूं कि वित्त वर्ष 2025 में 7 फीसदी वृद्धि दर तय है।’दास ने कहा कि अर्थव्यवस्था की गति मजबूत है, ग्रामीण मांग पिछले साल की तुलना में सुधरी है तथा शहरी मांग भी लगातार मजबूत बनी हुई है।
सरकार के पूंजीगत व्यय और निजी पूंजीगत निवेश शुरू होने से निवेश गतिविधियों में भी तेजी आई है। निजी क्षेत्र खास तौर पर स्टील, निर्माण गतिविधियों, टेक्सटाइल, रसायन आदि क्षेत्रों में भी पूंजीगत खर्च में सुधार के संकेत दिख रहे हैं। आरबीआई गवर्नर ने यह भी कहा कि आर्थिक वृद्धि में तेजी आने से देश में बचत दर भी बढ़ेगी। अभी अर्थव्यवस्था में उधारी वृद्धि 16 से 17 फीसदी और जमा वृद्धि करीब 12 से 13 फीसदी है।
जमा में ऐतिहासिक वृद्धि रुझान करीब 13 से 14 फीसदी है। दास ने कहा, ‘मेरी राय में जमा वृद्धि कुछ हद तक कम है मगर यह ज्यादा खर्च करने की वजह से है। लोगों में खर्च की प्रवृत्ति बढ़ रही है। कुल मिलकार यह पैसा वापस किसी के बैंक खाते में ही आ रहा है। इसलिए आर्थिक वृद्धि होने से बचत दर में भी सुधार आने की उम्मीद है।’
मुद्रास्फीति और मौद्रिक नीति में सख्ती का रुख बरकरार रखने पर गवर्नर ने कहा कि आरबीआई मुद्रास्फीति को 4 फीसदी पर लाने और उसी दायरे में बनाए रखने का प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा, ‘केवल एक महीने मुद्रास्फीति का आंकड़ा 4 फीसदी पर आना संतोषजनक नहीं है बल्कि उसका वहीं टिके रहना जरूरी है।’ हालांकि भू-राजनीतिक जोखिमों और मौसम संबंधी घटनाओं के कारण आपूर्ति श्रृंखला को चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जिसका असर खाद्य पदार्थों की कीमतों पर भी पड़ता है।
पेटीएम पेमेंट्स बैंक मामले में दास ने का कि पेमेंट्स बैंक के खिलाफ कार्रवाई इसलिए की गई क्योंकि वह केवल फिनटेक नहीं बल्कि विनियमित इकाई है। आरबीआई ने पेटीएम पेमेंट्स बैंक के जमा और उधारी कारोबार पर 15 मार्च से रोक लगा दी है। उन्होंने स्पष्ट किया कि 15 मार्च की समयसीमा पर्याप्त है और इससे ग्राहकों को कोई समस्या नहीं होगी। क्योंकि केवल 15 से 20 फीसदी पेटीएम ऐप उपयोगकर्ताओं के खाते ही ही पेमेंट्स बैंक से जुड़े हैं।