जीएसटी : ऑटोमोबाइल निर्यातकों के 1,000 करोड़ के रिफंड अटके

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नई दिल्ली। भारतसे यात्री वाहनों के निर्यात की राह में जीएसटी प्रणाली से जुड़ी अड़चनें खड़ी हो गई हैं, क्योंकि वाहन विनिर्माता जुलाई से अब तक अपना रिफंड दावा नहीं कर सके हैं और इस मद में उनका बकाया 1,000 करोड़ रुपए से पर जा चुका है। यह पैसा देश के चार शीर्ष यात्री वाहन निर्यातकों का बकाया है।

उद्योग से जुड़े लोगों का कहना है कि जीएसटी की अग्रिम भुगतान और इनपुट टैक्स क्रेडिट रिफंड दावा करने की मौजूदा प्रणाली ठीक से काम नहीं कर रही है। कंपनियों के लिए कार्यशील पूंजी की जरूरत बढ़ गई है। जब तक इन मुद्दों का समाधान नहीं हो जाता तब तक वह निर्यात को लेकर दोबारा विचार कर सकते हैं।

फोर्ड इंडिया के मुख्य वित्त अधिकारी डेविड शॉक ने कहा कि जीएसटी के तहत मुआवजा उपकर को बढ़ाकर 1-22 फीसदी कर दिया गया है, जो पुरानी व्यवस्था में 1-4 फीसदी था। इससे नकदी की आवश्यकता बढ़ी है और कंपनियों पर इसका दबाव है।

भारतीय वाहन विनिर्माताओं के संगठन सियाम के उप महानिदेशक सुगतो सेन ने कहा कि निर्यात पर ध्यान देने वाली कंपनियां ज्यादा परेशान हैं, क्योंकि जीएसटी में अग्रिम भुगतान और रिफंड का दावा करने की मौजूदा प्रणाली ठीक से काम नहीं कर रही है।

उन्होंने कहा कि जीएसटी क्रेडिट का संग्रह होता जा रहा है जिसका नुकसान निर्यातकों को हो रहा है। कई कंपनियां है, जिनका रिफंड कई सैकड़ों करोड़ रुपए को पार कर चुका है। कंपनियों की कार्यशील पूंजी की जरूरत बढ़ गई है, जिसके चलते उनका निर्यात को लेकर सावधानी पूर्ण रुख है।

जुलाई-अक्टूबर में घटा वाहन निर्यात
जुलाई-अक्टूबर की अवधि में यात्री वाहन का निर्यात 14.45 फीसदी घटकर 2,35,933 इकाई रहा है, जो पिछले साल समान अवधि में 2,75,789 वाहन था। हालांकि इसी अवधि में दोपहिया और वाणिज्यिक वाहनों समेत कुल वाहन का निर्यात 8.07 फीसदी सुधरकर 13,17,936 वाहन रहा है, जो पिछले साल इस दौरान 12,19,460 वाहन था।