जयपुर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज ‘मन की बात’ कार्यक्रम के जरिये देशवासियों से बात की। आज ‘मन की बात’ कार्यक्रम का 105वां एपिसोड है। कार्यक्रम में पीएम मोदी ने राजस्थान के पुष्कर का जिक्र कर बड़ी बात कह दी।
राजस्थान के पुष्कर में जीव जंतु को बचाने की कोशिश के तहत ‘ऑपरेशन कोबरा’ चलाया जा रहा है। राजस्थान में सांपों की संख्या बहुत अधिक है। लेकिन कई सांप दुर्घटनाओं का शिकार हो रहे हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए सांपों की जान को कैसे बचाया जाए यह एक चिंता का विषय बन गया था, जिसके बाद ‘ऑपरेशन कोबरा’ चलाया गया।
क्या है ‘ऑपरेशन कोबरा’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में पुष्कर के ऑपरेशन कोबरा का जिक्र किया। बीते कुछ वर्षों में, देश में शेर, बाघ, तेंदुआ और हाथियों की संख्या में काफी बढ़ोत्तरी देखी गई है। कई और प्रयास भी निरंतर जारी हैं, ताकि इस धरती पर रह रहे दूसरे जीव-जंतुओं को बचाया जा सके। ऐसा ही एक अनोखा प्रयास राजस्थान के पुष्कर में भी किया जा रहा है। यहां, सुखदेव भट्ट और उनकी टीम मिलकर वन्य जीवों को बचाने में जुटे हैं। इस ऑपरेशन के तहत अलग-अलग इलाकों में घायल हुए जीव जंतुओं का रेस्क्यू किया जाता है और फिर उनका इलाज किया जाता है। जिससे उनकी जान को बचाया जा सके।
जिन्होंने 30 हजार सांपों को बचाया
पीएम मोदी ने पुष्कर की एक टीम के नाम का उजागर किया। इस टीम का नाम लेकर उन्होंने सुखदेव भट्ट और उनकी टीम का जिक्र किया। उन्होंने ‘ऑपरेशन कोबरा’ को लेकर कहा कि ये खतरनाक नाम इसलिए है क्योंकि उनकी टीम इस क्षेत्र में खतरनाक सांपों का रेस्क्यू करने का काम भी करती है। इस टीम में बड़ी संख्या में लोग जुड़े हैं, जो सिर्फ एक कॉल पर मौके पर पहुंचते हैं और अपने मिशन में जुट जाते हैं। सुखदेव की इस टीम ने अब तक 30 हजार से ज्यादा जहरीले सांपों का जीवन बचाया है। इस प्रयास से जहां लोगों का खतरा दूर हुआ है, वहीं प्रकृति का संरक्षण भी हो रहा है। ये टीम अन्य बीमार जानवरों की सेवा के काम से भी जुड़ी हुई है।
पीएम मोदी ने जीव-जंतुओं पर जताई चिंता
पीएम मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में कहा कि मेरे परिवारजनों और हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि ‘जीवेषु करुणा चापि, मैत्री तेषु विधीयताम्’ अर्थात्, जीवों पर करुणा कीजिए और उन्हें अपना मित्र बनाइए। हमारे तो ज्यादातर देवी-देवताओं की सवारी ही पशु-पक्षी हैं। बहुत से लोग मंदिर जाते हैं, भगवान के दर्शन करते हैं, लेकिन जो जीव-जंतु उनकी सवारी होते हैं, उस तरफ उतना ध्यान नहीं देते। ये जीव-जंतु हमारी आस्था के केंद्र में तो रहने ही चाहिए, हमें इनका हर संभव संरक्षण भी करना चाहिए।