‘वर्तमान साहित्य पर सोशल मीडिया का प्रभाव’ पर साहित्यिक चर्चा
कोटा। विश्व कीर्तिमान प्राप्त पटल ‘द मैजिक मैन एन. चंद्रा’ संस्था द्वारा शनिवार को कोटा विश्वविद्यालय में पावस काव्य फुहार कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें देशभर से आए कवियों और कवयित्री ने पावस में काव्यपाठ की फुहार बरसाकर सभी को भिगो दिया।
इससे पहले “वर्तमान साहित्य पर सोशल मीडिया का प्रभाव” विषय पर साहित्यिक चर्चा आयोजित की गई। जिसमें कवि और साहित्यकार अंबिका दत्त चतुर्वेदी, प्रसिद्ध शिक्षाविद और लेखक डॉ. गणेश तारे, आकाशवाणी के वरिष्ठ उद्घोषक एवं जाने माने ग़ज़लकार और दोहाकार राम नारायण हलधर अतिथि के तौर पर मौजूद रहे।
अध्यक्ष नरेश जोशी ने पटल की तरफ से सभी का स्वागत किया और पटल के बारे में जानकारी दी। संरक्षक डॉ.हरीश नवल ने सोशल मीडिया का साहित्य पर प्रभाव के बारे में वक्तव्य देते हुए कॉलेज के आए हुए बच्चों के सवालों के जवाब भी दिए।
उपाध्यक्ष डॉ. रेनू श्रीवास्तव ने बताया कि पावस फुहार कार्यक्रम में कवियों ने एक से बढ़कर एक कविताएं सुनाकर देर तक श्रोताओं को बांधे रखा। किसी ने शृंगार रस तो किसी ने वीर रस से सराबोर कर दिया। किसी ने आसमान से बरसती बूंदों के बीच हास्य रस की फुहारें बरसाई। कवि सम्मेलन में सुप्रसिद्ध राजस्थानी गीतकार दुर्गादान सिंह गौड़ मुख्य अतिथि थे। अध्यक्षता राजस्थानी गीतकार मुकुट मणिराज ने की।
इस अवसर पर डॉ. कृष्णा कुमारी ने “सीमाओं में बांध लूं कैसे अपना प्यार…” तथा शिल्पा जैन ने “भूख गरीबी लाचारी पर आओ मिलकर वार करें…” सुनाकर वाह वाही लूटी। रामनारायण हलधर ने व्यंग्य करते हुए “निचली बस्ती हूं मैं गरीबों की और नदी में तूफान है साहब…” सुनाई। दुर्गादान सिंह गौड़ ने भक्ति रस से सराबोर भगवान कृष्ण पर आधारित “राधा छूटी, गोकुल छुट्यो, ग्वाल बाल सब सखा खोया, सांची सांची कह दयो कान्हा, कतना हांस्यां कतना रोया…” सुना कर श्रोताओं को ताली बजाने पर मजबूर कर दिया।
इस दौरान चाँद शेरी, डॉ. कृष्णा कुमारी “कमसिन”, राजेंद्र पंवार, दत्ता प्रसाद जोग (गोवा), भूमिका जैन “भूमि” (आगरा), शिल्पा जैन (चेन्नई), सुनीता निमिष सिंह (उदयपुर), किरण बाला “किरन” (उदयपुर), रेनू सिरोया “कुमुदनी” (उदयपुर), अंतर्राष्ट्रीय व्यंग्यकार और पटल के संरक्षक डॉ.हरीश नवल (दिल्ली), नरेश जोशी (महाराष्ट्र), नीता जोशी (महाराष्ट्र), बीके पाटिल (महाराष्ट्र), सोनाली बॉस (दिल्ली), पूजा कौशिक (दिल्ली), मोनीता महक (दिल्ली), पूनम सागर (दिल्ली) ने काव्यपाठ किया।
काव्यपाठ का संचालन रामनारायण हलधर ने किया। शाम को लोक संगीत का कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें कुलपति प्रो. कैलाश सोडाणी मुख्य अतिथि रहे। इस दौरान विभिन्न सांस्कृतिक प्रस्तुतियां आयोजित हुई।