विधानसभा चुनाव से पहले अशोक गहलोत-सचिन पायलट में तल्खी अपने चरम पर
-कृष्ण बलदेव हाडा-
Gehlot-Sachin Pilot Dispute: राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व में उप मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रहे उनके प्रतिद्वंदी सचिन पायलट के बीच एक बार फिर जबरदस्त द्वंद के हालात हैं। लेकिन अब इसे सत्ता पाने का संघर्ष कहना बेमानी होगी।
क्योंकि अशोक गहलोत के खिलाफ बगावती सुर बोलने वाले सचिन पायलट भी इस बात को अब बेहतर जानते हैं कि यह चुनावी साल है और साल के अंतिम महीने में राजस्थान विधानसभा के चुनाव होने हैं। ऐसे में अब पार्टी के लिए यह तो किसी भी सूरत में कतई भी संभव नहीं है कि वह प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन करें लेकिन सचिन पायलट एक बार फिर मोर्चा खोलकरअपने समर्थकों व विधायकों का मनोबल बढ़ाना चाहते हैं जिनके खिलाफ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कटु वचन बोले है।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने रविवार को धौलपुर जिले में एक सभा में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने यह बयान दिया था कि उनकी सरकार के खिलाफ बगावत कर मानेसर (हरियाणा) गये जिन विधायकों को सरकार गिराने के एवज में भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 10 से 20 करोड़ रुपए दिए हैं, वह उन्हें वापस लौटा दे वरना वह हमेशा ही अमित शाह के दबाव में रहेंगे।
इस बयान के बाद प्रदेश में कांग्रेस की आंतरिक राजनीति गरमा गई थी और इसी के चलते मंगलवार को सचिन पायलट ने जयपुर में विधिवत प्रेस कॉन्फ्रेंस करके अशोक गहलोत के इस बयान के खिलाफ कड़ा प्रतिवाद पेश किया है और प्रदेश की कांग्रेस की सरकार के खिलाफ पद यात्रा निकालने की घोषणा की है जिसे जन संघर्ष पदयात्रा नाम दिया गया है।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने रविवार को धौलपुर में राजाखेड़ा में महंगाई राहत शिविर में आयोजित सभा में पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायकों के खिलाफ बड़ा ही गंभीर तल्खी भरा भाषण दिया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह,केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान इन तीनों ने मिलकर हमारी पार्टी के कुछ विधायकों से मिलकर सरकार को गिराने का षडयंत्र रचा था।
अमित शाह को रुपए वापस नहीं ये तो वह इन विधायकों को डरायेंगे-धमकायेंगे। उन्होंने इसी तरह महाराष्ट्र में शिवसेना को दो टुकड़ों में बांट दिया। हमेशा ऐसे ही खतरनाक खेल खेलने के लिए जाने जाते हैं। अगर विधायकों ने कुछ पैसा खर्च कर दिया है तो वह अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी से वापस दिलवायेंगे।
इस बयान को लेकर गंभीर विवाद की स्थिति उत्पन्न हो गई थी और सचिन पायलट और उनके खेमे के विधायकों में गहरी नाराजगी थी। मुख्यमंत्री के बयान के तत्काल बाद ही ऐसे ही कुछ विधायकों ने तो बेबाकी के साथ मुख्यमंत्री के बयान के प्रति अपनी नाराजगी प्रकट कर दी थी, लेकिन सचिन पायलट ने मंगलवार को जयपुर में विधिवत प्रेस कॉन्फ्रेंस करके अशोक गहलोत पर बड़ा हमला बोला।
संवाद समिति यूनीवार्ता की एक रिपोर्ट के अनुसार-सचिन पायलट ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के रविवार को धौलपुर में विधायकों के पैसे लेने के लगाये आरोपों को बेबुनियाद एवं झूठे बताते हुए इन्हें नकार दिया और कहा है कि मुख्यमंत्री का भाषण सुनने के बाद लगता है कि उनकी नेता सोनिया गांधी नहीं, बल्कि उनकी नेता वसुंधरा राजे सिंधिया है।
श्री पायलट ने रविवार को जयपुर में पत्रकारों से बातचीत में श्री गहलोत के धौलपुर में दिए बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि एक तरफ यह कहा जा रहा है कि भाजपा हमारी सरकार को गिरा रही थी। दूसरी तरफ कहा जाता है कि सरकार को बचाने का काम श्रीमती वसुंधरा राजे कर रही थी। यह जो विरोधाभास है इसको समझना चाहिए, आप कहना क्या चाह रहे है, यह स्पष्ट कर देना चाहिए।
उन्होंने कहा “मैं पिछले डेढ़ साल से चिट्ठी लिख रहा हूं कि वसुंधरा राजे की सरकार के शासन में हुए भ्रष्टाचार को लेकर श्री गहलोत सहित हमने भ्रष्टाचार के जो आरोप लगाए और कांग्रेस की सरकार बनने पर जांच कराने की बातें कहीं गई, इन आरोपों की जांच कराई जाये। लेकिन इन आरोपों की जांच क्यों नहीं हो पा रही है। अब मुझे समझ में आ रहा है कि अब तक जांच क्यों नहीं हुई। मेरे चिट्ठी लिखने के बावजूद कार्रवाई नहीं हुई।”
उन्होंने कहा ” मैं इस मांग को लेकर गत 11 अप्रैल को जयपुर में अनशन पर भी बैठा। अब मैं नाउम्मीद हूं, क्योंकि तथ्य सामने आ रहे है। कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है और क्यों नहीं होगी। बात भी साफ है, इसलिए मैं ऐसा मानता हूं कि जनता ही भगवान और जनता जनार्दन के सामने नतमस्तक होना पड़ेगा। श्री पायलट ने कहा कि उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ पहले भी आवाज उठाई थी और आगे भी उठाते रहेंगे।