मां सेवा, त्याग और समर्पण की मूर्ति, हमें उसका ख्याल रखना हैः बिरला

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लोक सभा अध्यक्ष ने बूंदी में किया सुपोषित मां अभियान का शुभारंभ

कोटा। लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सोमवार को बूंदी व तालेड़ा पंचायत समिति क्षेत्र में रहने वाली वंचित परिवारों की गर्भवती महिलाओं के लिए सुपोषित मां अभियान का शुभारंभ किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि मां सेवा, त्याग और समर्पण की मूर्ति है। वह पहले परिवार का पेट भरती है, उसके बाद स्वयं अन्न ग्रहण करती है। मां को भी पोषण मिले यह हम सब की जिम्मेदारी है, जिसे हमें सामुहिकता के साथ पूरा करना है।

सिलोर रोड स्थित एक रिसोर्ट में आयोजित कार्यक्रम में स्पीकर बिरला ने कहा कि हमारा लक्ष्य है कि संसदीय क्षेत्र कोटा-बूंदी में मातृ तथा शिशु मृत्यु दर भारत में सबसे कम हो। इसके लिए वंचित परिवारों की महिलाओं के लिए जनसहयोग से सुपोषित मां अभियान प्रारंभ किया गया है। अगले नौ माह तक जब इन गर्भवती महिलाओं को उचित पोषण मिलेगा तो वे स्वयं भी स्वस्थ होंगी और स्वस्थ शिशु को जन्म देंगी।

लोक सभा अध्यक्ष बिरला ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मां के दर्द को समझते हैं। इस कारण उन्होंने संवेदना के साथ महिलाओं के लिए अनेक कल्याणकारी योजनाएं संचालित की हैं। लेकिन समाज की भी वंचित वर्ग की इन महिलाओं के प्रति जिम्मेदारी बनती है। एएनएम, जीएनएम और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता तो अपना काम कर ही रही हैं, लेकिन सामाजिक कार्यकर्ता भी इन महिलाओं को उचित सलाह दें, उनकी समय-समय पर जांच करवाएं और उन्होंने विभिन्न योजनाओं का लाभ दिलवाएं।

उन्होंने कहा कि सुपोषित मां अभियान गर्भवती महिला और शिशु को स्वस्थ रखने का संकल्प है। जो संकल्प अच्छे मनोभाव से किए जते हैं, वह सिद्धी तक जरूरत पहुंचते हैं। मां स्वस्थ होगी तो परिवार स्वस्थ होगा, परिवार स्वस्थ होगा तो देश भी स्वस्थ बनेगा। इसके लिए हमें मिलकर सामुहिकता से कार्य करना है।

हर माह स्वास्थ्य की भी होगी जांच
सुपोषित मां अभियान के तहत चिन्हित महिलाओं को नौ माह तक पोषण किट तो मिलेगी ही, हर माह उनके स्वास्थ्य की भी जांच होगी। समर्पित डॉक्टरों की एक टीम इस काम की देखरेख करेगी। इन महिलाओं का मेडिकल कॉर्ड भी बनाया जाएगा। आवश्यकता होने पर इन महिलाओं को दवा भी उपलब्ध करवाई जाएगी और समय-समय पर उनका वैक्सिनेशन भी होगा।

गर्भवती महिलाओं की आंखों में दिखी खुशी
सुपोषित मां अभियान के तहत स्पीकर बिरला के हाथों से पोषण किट मिलने के बाद गर्भवती महिलाओं की आंखों में खुशी की चमक दिखाई दी। चिन्हित की गई महिलाओं में अधिकांशतः वह हैं जिन्हें गर्भवती होने के बाद भी परिवार की सहायता के लिए काम करना पड़ता है। कोई मजदूरी करती है तो कोई फैक्ट्री में या घर पर काम करती है। ऐसी महिलाओं के लिए गर्भावस्था में पोषण नहीं मिलना और काम करने की मजबूरी दोहरी चुनौती होती है।