सेंट्रल यूनिवर्सिटीज में असिस्टेंट प्रोफेसर बनने के लिए पीएचडी की अनिवार्यता होगी खत्म

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नई दिल्ली। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के अध्यक्ष एम जगदीश कुमार ने कहा कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों पर भर्ती के लिए डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी (PhD) अनिवार्य नहीं है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि उस्मानिया विश्वविद्यालय (OU) परिसर में नवनिर्मित यूजीसी-एचआरडीसी भवन के उद्घाटन के अवसर पर बोलते हुए कुमार ने कहा कि आयोग की राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (NET) की योग्यता ही इसके लिए पर्याप्त होगी।

यूजीसी अध्यक्ष ने कहा कि यह निर्णय इसलिए लिया जा रहा है ताकि जिन पेशेवरों के पास पीएचडी नहीं है उन्हें भारत के विश्वविद्यालयों में सहायक प्रोफेसर के रूप में नियुक्त किया जा सके। साथ ही इससे उन विशेषज्ञों को अवसर प्रदान होगा जिनके पास पीएचडी की डिग्री नहीं और वे विश्वविद्यालयों में पढ़ाना चाहते हैं।

यूजीसी अध्यक्ष ने कहा कि एक देश-एक डेटा पोर्टल भी विकसित किया जा रहा है। इस पोर्टल पर यूजीसी के सभी दिशानिर्देश और अन्य महत्वपूर्ण विवरण दिए जाएंगे। कुमार ने आगे कहा कि अगले शैक्षणिक वर्ष से राष्ट्रीय डिजिटल विश्वविद्यालय के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सीधे छात्रों तक पहुंचाई जाएगी। केंद्र सरकार ने पहले आयोग के नियमों में संशोधन किया था, जिसने पीएचडी को सहायक प्रोफेसरों की भर्ती के लिए न्यूनतम पात्रता मानदंड बना दिया था।

नए दिशानिर्देश 2021 में लागू होने थे लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण स्थगित हो गए। मीडिया रिपोर्टों से पता चलता है कि बाद में इसे जुलाई 2023 तक बढ़ा दिया गया था। लेकिन इस बीच विश्वविद्यालय अनुदान आयोग राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (यूजीसी नेट) के स्कोर के आधार पर भर्ती जारी रही है।

इधर नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) ने दिसंबर-2022 और जून-2023 में संयुक्त सीएसआईआर-यूजीसी नेट परीक्षा के लिए पंजीकरण प्रक्रिया शुरू कर दिया है। इच्छुक और योग्य अभ्यर्थी आधिकारिक वेबसाइट csirnet.nta.nic.in पर आवेदन कर सकते हैं। परीक्षा 6, 7 और 8 जून को होगी।