जयपुर। Pulwama Martyrs: राजस्थान में दो वीरांगनाओं द्वारा अपने देवरों को सरकारी नौकरी मांगने की वजह सामने आ है। देवर के लिए नौकरी मांगने के पीछे वजह सुहाग का भी सवाल है। एक वीरांगना ने चूड़ा पहना है। जबकि दूसरा चूड़ा पहनने की तैयारी कर रही है।
इसलिए संतान की जगह देवर के लिए नौकरी की मांग कर रही है। शहीद जीतराम गुर्जर की पत्नी सुंदरी ऐसा कर चुकी है। पति की शहादत के 6 महीने बाद ही उन्होंने देवर विक्रम सिंह के नाम का चूड़ा पहन लिया। जबकि शहीद रोहिताश्व लांबा की पत्नी मंजू के साथ भी ऐसा ही करने की तैयारी की जा चुकी है।
रोहिताश के पिता बाबू लाल ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि सुहाग उजड़ने के बाद बहू को देवर के नाम चूड़ा पहनाने की समाज में परंपरा है। नौकरी मिलने के बाद यदि बहू मंजू के पीहर वाले तैयार होते हैं तो हम चूड़ा पहना देंगे। इससे अच्छा कुछ नहीं हो सकता।
हालांकि, इसमें एक पेच यह भी है शहीद रोहिताश्व के छोटे भाई जितेंद्र शादीशुदा है। उसकी पत्नी भाभी मंजू की ही छोटी बहन है। हिंदू विवाह अधिनियम के अनुसार एक पत्नी के होते हुए दूसरी शादी करना कानूनी रूप से मान्य नहीं है।
राजस्थान में कई जातियों में नाते को सामाजिक मान्यता मिली हुई है। सीएम गहलोत ने वीरांगनाओं की मांग पर सवाल उठाया था। सीएम गहलोत ने कही कि शहीद के बच्चों का हक नहीं मारा जा सकता है। भरतपुर की सुंदी ने बताया कि मुझे देवर के नाते बैठे हुए तीन साल से ज्यादा का समय हो गया है।
मेरी दो बच्चियां पहले से ही थी। अब लड़का और लड़की भी हो चुके हैं। सरकार के नियम से बच्चों को नौकरी मिल सकती है। तब परिवार कैसे चलेगा। जबकि शहीद हेमाराज मीणा की वीरांगतान तीसरी मूर्ति लगाने के लिए संघर्ष कर रही है।
शहीद रोहिताश्व लांबा की पत्नी का कहना है कि चूड़ा पहनने को कहा जाएगा तो देखेंगे। गोविंदपुरा बासड़ी शाहपुरा जयपुर के शहीद रोहिताश्व लांबा की पत्नी मंजू का कहना है कि चूड़ा पहनने के बारे में अभी नहीं सोचा है।
यदि परिवार कहेगा तो इस बारे में विचार करेंगे। पति जब शहीद हुए थे बेटा डेढ़ महीने का था। मैं तो उसी के लिए जी रही हूं। परिवार में बूढ़े सास-ससुर है। देवर सबका ध्यान रखते हैं। इसलिए उसके लिए नौकरी की मांग कर रही हूं।