सरकार के मुखिया की शह के बगैर इतना बड़ा भ्रष्टाचार कैसे संभव?

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भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) की राजस्थान में अवैध खनन पर रोक में विफ़लता की रिपोर्ट के बाद बरसे कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक भरत सिंह

-कृष्ण बलदेव हाडा-
कोटा। भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) की प्रदेश में खनन विभाग में वित्तीय अनियमितता,अवैध खनन के मसले पर रिपोर्ट के बाद खनन मंत्री प्रमोद जैन भाया एक बार फिर राजस्थान में कोटा जिले की सांगोद विधानसभा सीट से कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक भरत सिंह कुंदनपुर के निशाने पर हैं।

श्री सिंह ने प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से कहा कि अब तो चेत जाइए। भारत के नियंत्रक एवं परीक्षक ने अपनी रिपोर्ट में भी खनन विभाग में व्यापक भ्रष्टाचार और प्रदेश में हो रहे अवैध खनन की शिकायतों पर अपनी मोहर लगा दी है और इसके लिए खनन विभाग को राजकोष में बड़े राजस्व नुकसान पहुंचाने के लिए दोषी ठहराया है।

इसके बावजूद यदि सरकार इस विभाग के मुखिया खनन मंत्री प्रमोद जैन भाया के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं करती तो यह स्पष्ट मान लेना चाहिए कि मुख्यमंत्री ने ही अपने मंत्री को खुले आम भ्रष्टाचार करने की छूट दे रखी है।

श्री भरत सिंह ने कहा कि होने को तो जिले से लेकर प्रदेश स्तर तक भ्रष्टाचार जैसी गतिविधियों पर नजर रखने और निगरानी रखने की निगरानी प्रणाली (मॉनिटरिंग सिस्टम) है। कैग की यह रिपोर्ट भी इसी निगरानी तंत्र का एक हिस्सा है और ऎसे तंत्र की रिपोर्ट के आधार पर पहले भी केंद्र से लेकर राज्य सरकार स्तरों पर कार्यवाही होती रही है।

अगर यह रिपोर्ट सही है तो उसे स्वीकार कर राज्य सरकार और उसके मुखिया अपने मातहत मंत्री के खिलाफ कार्यवाही क्यों नहीं करते? लेकिन जब सरकार के मुखिया और विभागों के मंत्री ही अपनी आंखें मूंद ले तो यह निगरानी तंत्र पूरी तरह से विफल हो जाता है।

श्री भरत सिंह ने कहा कि श्री गहलोत ने उनके मुख्यमंत्री के रूप में दूसरे कार्यकाल के समय प्रमोद जैन भाया को अपने मंत्रिमंडल में सार्वजनिक निर्माण मंत्री बनाया था, लेकिन बाद में उनकी ऐसी ही गतिविधियों को देखते हुए अपने मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया था। ऐसे हालात में जब श्री गहलोत तीसरी बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने हैं तो उन्होंने प्रमोद जैन भाया को मंत्री क्यों बनाया?

मंत्री बनाया है तो इससे यह स्पष्ट संकेत है कि उन्हें भ्रष्टाचार करने के लिए ही मंत्री पद का दायित्व सौंपा गया। उल्लेखनीय है कि भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि खनन विभाग की लापरवाही के कारण राज्य सरकार के राजस्व में भारी छीजत हुई है।

अवैध खनन पर रोक लगाने के लिए तकनीकी संसाधन निशुल्क उपलब्ध होने के बावजूद सरकार न केवल इस पर निगरानी रखने में विफल हुई बल्कि इस विफलता के साथ उसे रोक पाने में भी असक्षम साबित हुई है। श्री सिंह ने कहा कि सरकार और उसके मुखिया की शह के बगैर यह संभव नहीं है।