उत्तर भारत में गेहूं की कीमतें 3000 रुपये के पार पहुंची, जानिए क्यों

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नई दिल्ली। Wheat Price Hike: देश के कई हिस्सों में गेहूं की कीमतें 3000 रुपये प्रति क्विंटल के पार पहुंच गईं हैं। इसका कारण पूर्वी भारत में अनाज की कमी है। केंद्र सरकार ने गेहूं को खुले बाजार में ओएमएसएस (ओपन मार्केट सेल स्कीम) के तहत बेचने की पहल अब तक नहीं की है। इस कारण गेहूं की कीमतें रोज नई ऊंचाई पर पहुंच रही हैं।

भारतीय रोलर फ्लावर मिल्स फेडरेशन (आरएफएमएफआई) के अध्यक्ष प्रमोद कुमार का मानना है कि खुले बाजार में गेहूं नहीं है। पूर्वी भारत में भी गेहूं उपलब्ध नहीं है। जब से केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के अंतर्गत गेहूं का आवंटन रोका है, खुले बाजार में इसकी मांग बढ़ गई है।

उत्तर प्रदेश में गेहूं की कीमतें रोज नई ऊंचाई पर पहुंच रही हैं। देश का उत्तरी सूबा गेहूं की किल्लत का सामना कर रहा है। नाम का खुलासा नहीं करने की शर्त पर दक्षिण भारत के एक व्यापारी ने ये बातें कही। दिल्ली स्थित एक कारोबारी के अनुसार गेहूं के सबसे बड़े उत्पादक राज्य यूपी को इसे गुजरात से खरीदना पड़ रहा है। बाजार के जुड़े लोगों के अनुसार उत्तर प्रदेश में गेहूं की कीमतें 3050 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गईं हैं। वहीं राजस्थान में यह अनाज 2800 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर बिक रहा है। मीलरों को ट्रांसपोर्टेशन का खर्चा अलग से उठाना पड़ रहा है।

कृषि मंत्रालय की इकाई एगमार्केट के आंकड़ों के अनुसार आठ जनवरी को गेहूं के भाव 2788 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंच गए। पिछले साल की तुलना में ये करीब 20 फीसदी अधिक है। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार खुदरा बाजार में गेहूं के भाव करीब 31.17 रुपये प्रति किलो हैं जो पिछले वर्ष की तुलना में 15.76 फीसदी ज्यादा है। वहीं गेहूं का आटा 37.03 रुपये प्रति किलोग्राम है। इसमें पिछले वर्ष की तुलना में 18.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।

गेहूं की कीमतें 2022 के रबी सीजन में तय न्यूनतम समर्थन मूल्य 2015 रुपये प्रति क्विंटल की तुलना में लगातार बढ़ते रहे हैं। वर्ष 2023 के खरीफ सीजन के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाकर 2125 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है।

एक ट्रेड एनालिस्ट के अनुसार अनाजों खासकर गेहूं और चावल के मामले में आपूर्ति से जुड़ी दिक्कतें हैं। यह स्थिति उत्पादन के आंकड़ों पर भी संदेह पैदा करता है। उदाहरण के लिए पश्चिम बंगाल अपने लक्ष्य 60 लाख टन अनाज खरीदारी के लक्ष्य की तुलना में अब तक सप्लाई की कमी के कारण महज 20 लाख टन अनाज की खरीदारी ही कर पाया है।

ट्रेड एनालिस्ट्स मानते हैं कि महंगाई के आंकड़ाें को देखें तो पता चलता है कि कोर महंगाई दर में कमी नहीं आई है क्योंकि अनाज की कीमतों में उछाल जारी है। जानकारों के मुताबिक गेहूं के भाव अगले पखवाड़े तक 3300 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच सकते हैं। यह स्थिति फरवरी महीने के अंत या मार्च की शुरुआत तक बनी रह सकती है। तब तक गुजरात में गेहूं की नई फसल बाजार में आ जाएगी।

आरएफएमएफआई के प्रमोद कुमार के अनुसार उत्तर प्रदेश और अन्य उत्तरी राज्यों में गेहूं के फसल की आवक मार्च महीने के अंत तक शुरू होगी। इस स्थिति में केंद्र सरकार को अपने कोटे स्टॉक से ओएमएसएस स्कीम के तहत अनाज की बिकवाली करनी पड़ सकती है। गेहूं कारोबारियों के अनुसार केंद्र सरकार खासकर पीएमजीकेएवाई को देखते हुए बाजार पर करीबी नजर बनाए हुए है।