मुखौटा कंपनियों की संपत्ति हर जिले में खोजी जाएगी

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नई दिल्ली । मुखौटा कंपनियों के खिलाफ सरकार की कार्रवाई अब आगे बढ़ने लगी है। जल्द ही इन कंपनियों और उनके प्रमोटरों को इसका असर दिखाई दे सकता है। दरअसल कंपनी मामलों के मंत्रालय ने राज्यों से कहा है कि वे अपंजीकृत की गई कंपनियों की संपत्तियों की पहचान जल्द से जल्द पूरा करें और जिला प्रशासन इनमें किसी तरह के लेनदेन पर प्रभावी रोक लगाये।

काले धन पर कार्रवाई तेज करते हुए मंत्रालय ने राज्यों से अपील की है कि अगर इन कंपनियों की संपत्तियों में कोई लेनदेन होता है तो संबंधित अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की जाए।

मंत्रालय ने 2.25 लाख ऐसी कंपनियों का पंजीकरण रद कर दिया था जिनके द्वारा लंबे अरसे से कोई कारोबार नहीं किया जा रहा था और रिटर्न फाइलिंग में उल्लंघन किया जा रहा था। इन कंपनियों के निदेशकों को भी अयोग्य घोषित कर दिया गया है।

एक सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार कंपनी मामलों के राज्य मंत्री पी. पी. चौधरी ने एक बैठक में अपंजीकृत की गई करीब 2.09 लाख कंपनियों की संपत्तियों के मामले में कार्रवाई पर विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधियों के साथ समीक्षा की। बैठक में चौधरी ने राज्यों के प्रतिनिधियों से कहा कि तुरंत कार्रवाई की जाए और समयबद्ध तरीके से जानकारियां साझा की जाएं।

मंत्रालय ने पिछले 12 सितंबर को 2.09 लाख कंपनियों से संबंधित संपत्तियों की पहचान करने और नजर रखने के लिए पत्र भेजा था। अब ऐसी कंपनियों की संख्या बढ़कर 2.25 लाख हो गई है।

बैठक में इन कंपनियों से संबंधित राज्यवार जानकारियां प्रतिनिधियों के साथ साझा की गईं। मंत्री ने कहा कि अब पूरे देश में भूमि का रिकॉर्ड कंप्यूटराइज्ड हो चुका है।

ऐसे में जिला प्रशासन और केंद्र सरकार को जल्दी सूचना देना मुश्किल नहीं होगा। मंत्रालय के अनुसार चूंकि इन कंपनियों के नाम पंजीकरण की सूची से हटा दिये गये हैं। इस वजह से इन कंपनियों की संपत्तियों में कोई लेनदेन नहीं हो सकता है। नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल के आदेश पर ही कोई लेनदेन वैध होगा।