नई दिल्ली । नोटबंदी के दौरान कंपनियों के बैंक खातों में करीब 7000 करोड़ रुपये जमा किये गये और बाद में निकाल लिये गये। यह जानकारी केंद्रीय मंत्री पी. पी. चौधरी ने दी। उन्होंने कहा है कि जांच में यह पैसा अपंजीकृत की गई 2.24 लाख कंपनियों में से सिर्फ तीन फीसद कंपनियों में जमा होने की बात सामने आई है।
सरकार ने काले धन पर कड़ी कार्रवाई करते हुए 2.24 लाख कंपनियों का पंजीकरण रद कर दिया था। अब इन सभी कंपनियों के आंकड़ों की जांच की जा रही है ताकि इनके जरिये हुए काले धन के लेनदेन की जानकारी सामने आ सके। चौधरी ने कहा कि अभी सिर्फ तीन फीसद कंपनियों की जांच हुई है और नोटबंदी के दौरान इनमें ही 6000-7000 करोड़ रुपये जमा होने और बाद में निकाले जाने की बात सामने आई है।
एसोचैम के एक कार्यक्रम में कंपनी मामलों के राज्यमंत्री चौधरी ने कहा कि काले धन की राशि काफी ज्यादा होगी। अभी 97 फीसद कंपनियों के आंकड़ों की जांच जारी है। पिछले साल सरकार ने आठ नवंबर को काले धन और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए 500 और 1000 रुपये के पुराने नोट बंद कर दिये थे।
कंपनी एक्ट को लागू करने की जिम्मेदारी संभालने वाले कंपनी मामलों के मंत्रालय ने लंबे समय से कारोबार न करने वाली और जानकारी देने में दोषी पाई गई कंपनियों का पंजीकरण रद कर दिया था। मंत्री ने कहा कि नियमों का उल्लंघन न करने वाली कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है क्योंकि लोग अवैध गतिविधियों के लिए इन कंपनियों का इस्तेमाल कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि नियमों का पालन न करने वाली कंपनियों पर कार्रवाई हो रही है। हम यह नहीं कह सकते हैं कि सभी मुखौटा कंपनियों हैं। इन कंपनियों से संबंधित आंकड़ों का मिलान होने के बाद दोषी कंपनियों की धरपकड़ हो पाएगी। सरकार ने कंपनियों का पंजीकरण रद करने के अलावा उनके निदेशकों को भी अयोग्य घोषित कर दिया गया है। चौधरी के अनुसार सरकार क्लीन सिस्टम विकसित करना चाहती है, न कि डराना चाहती है।