कोटा। Coaching Students Suicide: कोटा कोचिंग छात्रों की मौत की फैक्ट्री बनती जा रही है। अब इस बात को लेकर पेरेंट्स को भी अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर डर सताने लगा है। पैरंट्स को इन कोचिंग संस्थानों में लाखों रुपये खर्च करने के बावजूद बच्चों का कॅरियर बनने के बजाय जिंदगी दांव पर लगी नजर आ रही है।
मन में इंजीनियर और डॉक्टर बनने का सपना संजोए लाखों बच्चे अपने बचपन से समझौता करके कोटा पहुंचते हैं। कोटा की बड़ी-बड़ी मल्टीलेवल बिल्डिंग की कोचिंगों में लाखों रुपये फीस देकर आआईटी और नीट की तैयारी करते हैं। बच्चों के ये बड़े सपने कब उनपर बोझ बन जाते हैं पता नहीं लगता।
इंजीनियर और डॉक्टर बनाने वाली ‘कोटा फैक्ट्री’ में बच्चे खुद को फंदे पर लटका रहे हैं। आपको जानकर हैरानी होगी इस साल कोटा में 14 छात्रों ने सुसाइड कर लिया। ये बच्चे पढ़ने में अच्छे और अपने लक्ष्य के प्रति फोकस्ड थे। लेकिन न जाने कौन सी बात ने इन्हें भीतर से इतना कमजोर कर दिया कि इन्होंने अपनी जान दे दी।
बिहार के गया के रहने वाले 18 साल के उज्ज्वल, बिहार के त्रिवेणीगंज के 16 साल के अंकुश आनंद और मध्य प्रदेश के शिवपुरी के 17 साल के प्रणव वर्मा ने 11 से 12 दिसंबर को अपने हॉस्टल के कमरे में सुसाइड कर लिया। ये तीनों छात्र कोटा में आआईटी और नीट की तैयारी कर रहे थे।
ये तीनों उन 14 छात्रों में शामिल हैं, जिन्होंने इस साल कोचिंग सेंटर हब में कड़े कॉम्पिटिशन वाली प्रवेश परीक्षा की तैयारी करते हुए सुसाइड कर लिया। कोटा शहर में उत्तर भारत के करीब पौने दो लाख बच्चे आईआईटी और नीट की तैयारी करने के प्रेशर को झेलते हैं। इनमें से ज्यादातर बच्चे मध्यमवर्गीय परिवारों से आते हैं।
छात्रों की मौत के बाद भड़के पेरेंट्स
इसी महीने बिहार के दो छात्रों ने मौत को गले लगाया है। इनमें एक बिहार के सुपौला जिले के बभंगंवा बघला लालपट्टी निवासी अंकुश आनंद (17 साल) था। तो दूसरा स्टूडेंट नेयाजीपुर निवासी उज्जवल कुमार (18 साल) था। ये दोनों जवाहरनगर थाना क्षेत्र के तलवंडी स्थित हॉस्टल में रह रहे थे। पिछले 4 साल से दोनों कोटा में रहकर मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम की तैयारी कर रहे थे। हॉस्टल में मौत के बाद कई पेरेंट्स ने सवाल उठाते हुए उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। उनका कहना है कि बच्चों को लेकर सब कुछ ठीक चल रहा था लेकिन हॉस्टल असल बात छिपा रहा है। वहां का माहाैल बेहद खराब है उनसे बातें छिपाई जा रही हैं।
एक साल में 14 कोचिंग छात्रों ने की सुसाइड
- जनवरी 2022 से दिसंबर 2022 तक 14 सुसाइड
- पिछले 1 महीने में 8 बच्चों ने दी जान
- 6 बड़े और 20 छोटे कोचिंग सेंटर है
- पेरेंट्स करते हैं सालाना एक बच्चे की कोचिंग पर 1.4 लाख रुपए खर्च
- कोटा में खाने-पीने की व्यवस्था पर एक बच्चे पर 1.2 लाख रुपए खर्च
- बच्चे 6 घंटे की क्लास और 2 घंटे की प्रोब्लम सोल्विंग को देते हैं
- कई बार 14-14 घंटे तक पढ़ाई
परीक्षा का तनाव
कोटा के एसपी केसर सिंह शेखावत ने बच्चों के सुसाइड की केवल एक वजह बताई है और वो है परीक्षा का तनाव। लेकिन कोटा के जिला मजिस्ट्रेट ओपी बुनकर ने सुसाइड की इन घटनाओं के और भी कारण बताए हैं। उनका कहना है कि बच्चों के सुसाइड के पीछे तनाव के साथ साथ अफेयर जैसी समस्याएं भी शामिल हैं। लेकिन तीनों बच्चों के माता-पिता ने कहा कि उन्होंने अपने बच्चों को किसी तरह के तनाव में नहीं देखा। उनके ऊपर न ही परिवार का कोई दवाब था और न ही किसी तरह की आर्थिक तंगी थी।
पेरेंट्स की नजर में हॉस्टल भी दोषी
बच्चों के परिवार ने सुसाइड के लिए हॉस्टल को दोषी ठहराया। परिवारों का कहना है कि वहां कुछ भी भयावह हो सकता है इसलिए इसकी जांच सीबीआई से की जानी चाहिए। बता दें कि राजस्थान के कोटा शहर मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम इंजीनियरिंग एंट्रेंस एग्जाम की कोचिंग के लिए जाना जाता और देशभर के विभिन्न राज्यों से यहां पहुंचते हैं। इस साल करीब दो लाख से अधिक स्टूडेंट्स अभी कोचिंग संस्थानों में यहां पढ़ रहे हैं। कोचिंग संस्थान मालिकों पर पेरेंट्स को आरोप है कि मोटा पैसा कमाने के चक्कर में बिना काउंसलिंग के स्टूडेंट्स को एडमिशन दे दिया है। भेड़ बकरियों की तरह क्लास रूम में बच्चों को बैठाया जाता है। यही कारण है कि पढ़ाई के तनाव में बच्चे सुसाइड कर रहे हैं।